क्या सीबीआई ने एचपीजेड क्रिप्टोकरेंसी टोकन धोखाधड़ी मामले में कई शहरों में छापेमारी की?

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क्या सीबीआई ने एचपीजेड क्रिप्टोकरेंसी टोकन धोखाधड़ी मामले में कई शहरों में छापेमारी की?

सारांश

सीबीआई ने एचपीजेड क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। यह मामला अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी का हिस्सा है, जिसमें भारत और विदेशों के नागरिक शामिल हैं। जानिए कैसे यह धोखाधड़ी संचालित हो रही थी और सीबीआई की कार्रवाई का प्रभाव क्या होगा।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने एचपीजेड क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले में छापेमारी की।
  • पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
  • यह मामला अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी का हिस्सा है।
  • जांच में कई शेल कंपनियों का खुलासा हुआ है।
  • सीबीआई डिजिटल फॉरेंसिक्स तकनीकों का उपयोग कर रही है।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने साइबर अपराधों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन चक्र-वी के तहत एचपीजेड क्रिप्टोकरेंसी टोकन धोखाधड़ी मामले में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की। जांच एजेंसी की टीमों ने दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और बेंगलुरु के सात स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान बड़ी मात्रा में डिजिटल सबूत और वित्तीय दस्तावेज जब्त किए गए। इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

सीबीआई ने बताया कि यह मामला एक जटिल और बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी का हिस्सा है, जिसका कारोबार सैकड़ों करोड़ रुपए में है। इस धोखाधड़ी में विदेशी और भारतीय नागरिकों की मिलीभगत है। यह मामला आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी की नकल और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है।

साल 2021 से 2023 के बीच देशभर में लोगों को लोन, नौकरी, निवेश और क्रिप्टोकरेंसी स्कीम के बहाने ठगी का शिकार बनाया गया। इस नेटवर्क ने कई 'शेल कंपनियां' बनाईं, जिनके माध्यम से म्यूल बैंक खाते खोले गए। इन खातों में पीड़ितों से लिए गए पैसे जमा किए गए, जिन्हें बाद में उन्हें क्रिप्टोकरेंसी में बदला गया और फिर विदेशों में भेजा गया।

जांच में यह भी पता चला है कि कई शेल कंपनियां विदेशी अपराधियों के निर्देश पर भारत में बनाई गईं, जिन्हें विभिन्न फिनटेक और पेमेंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत कराया गया ताकि वे जनता से पैसा इकट्ठा कर सकें और उसे एक जगह इकट्ठा कर सकें।

इस तरह जुटाए गए पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में तब्दील कर विभिन्न क्रिप्टो वॉलेट्स में ट्रांसफर किया गया और फिर सीमा पार भेजा गया, ताकि अपराध की कमाई छुपाई जा सके।

सीबीआई ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो इस घोटाले को अंजाम देने में सक्रिय रूप से शामिल थे। क्रॉस-बॉर्डर वित्तीय लेनदेन का पता लगाया जा रहा है और इसमें शामिल अन्य लोगों तथा संगठनों की पहचान की जा रही है।

सीबीआई का कहना है कि वह साइबर अपराधों से निपटने के लिए लगातार इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशन चला रही है। इसके साथ ही एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं और डिजिटल फॉरेंसिक्स की उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर जटिल अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी नेटवर्क को तोड़ने के लिए प्रयासरत हैं।

Point of View

यह मामला हमारे देश में साइबर अपराधों की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है। सीबीआई द्वारा की गई यह कार्रवाई एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। हमें उम्मीद है कि इस तरह के कदम समाज में जागरूकता लाएंगे और लोगों को इन धोखाधड़ी के मामलों से बचने में मदद करेंगे।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई ने कब और कहाँ छापेमारी की?
सीबीआई ने 4 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और बेंगलुरु में छापेमारी की।
इस धोखाधड़ी में कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया गया?
इस मामले में कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
इस धोखाधड़ी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस धोखाधड़ी का उद्देश्य लोगों से लोन, नौकरी और निवेश के बहाने पैसे ठगना था।
सीबीआई ने इस मामले में क्या सबूत जब्त किए?
सीबीआई ने बड़ी मात्रा में डिजिटल सबूत और वित्तीय दस्तावेज जब्त किए।
क्या यह मामला अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी का हिस्सा है?
हाँ, यह एक जटिल और बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी का हिस्सा है।
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