क्या चुनाव आयोग ने 476 अन्य पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू की?

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क्या चुनाव आयोग ने 476 अन्य पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू की?

सारांश

भारत निर्वाचन आयोग ने 476 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। यह कदम चुनावी प्रणाली की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। जानिए इस प्रक्रिया का महत्व और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • 476 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • निर्वाचन आयोग का लक्ष्य चुनावी प्रणाली की स्वच्छता है।
  • 6 वर्षों तक चुनाव न लड़ने वाले दलों को हटाया जाएगा।
  • प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाएगा।
  • अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग करेगा।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने देश में चुनावी प्रणाली को स्वच्छ और संगठित बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि उसने 476 अन्य पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

भारत निर्वाचन आयोग ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि देश में सभी राजनीतिक दल (राष्ट्रीय/राज्य/आरयूपीपी) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29(क) के तहत पंजीकृत हैं। इस अधिनियम के अधीन, एक बार पंजीकरण के बाद, राजनीतिक दलों को कुछ विशेषाधिकार जैसे कि प्रतीक और करों में छूट मिलती है।

आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित दिशानिर्देश में उल्लेख है कि यदि कोई पार्टी 6 वर्षों तक लगातार चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा। निर्वाचन प्रणाली की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने उन पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की पहचान करने और उन्हें सूची से हटाने की एक राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया शुरू की है, जो 2019 से लगातार 6 वर्षों तक एक भी चुनाव लड़ने में असफल रहे हैं।

प्रक्रिया के पहले चरण में, भारत निर्वाचन आयोग ने 9 अगस्त 2025 को 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटा दिया, जिससे सूचीबद्ध आरयूपीपी की संख्या 2,854 से घटकर 2,520 हो गई है। इस प्रक्रिया के दूसरे दौर में 476 अन्य गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की पहचान की गई है, जो देश के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से हैं।

आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी दल को अनुचित रूप से सूची से बाहर न किया जाए, संबंधित राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इसके बाद संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा सुनवाई की जाएगी और उनकी रिपोर्ट के आधार पर, भारत निर्वाचन आयोग अंतिम निर्णय लेगा।

इस प्रक्रिया में शामिल राज्य हैं: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 1, आंध्र प्रदेश में 17, असम में 3, बिहार में 15, चंडीगढ़ में 1, छत्तीसगढ़ में 7, दिल्ली में 41, गोवा में 5, गुजरात में 10, हरियाणा में 17, हिमाचल प्रदेश में 2, जम्मू-कश्मीर में 12, झारखंड में 5, कर्नाटक में 10, केरल में 11, मध्य प्रदेश में 23, महाराष्ट्र में 44, मणिपुर में 2, मेघालय में 4, मिजोरम में 2, नागालैंड में 2, ओडिशा में 7, पंजाब में 21, राजस्थान में 18, तमिलनाडु में 42, तेलंगाना में 9, त्रिपुरा में 1, उत्तर प्रदेश में 121, उत्तराखंड में 11 और पश्चिम बंगाल में 12 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल शामिल हैं, जिन्हें हटाने की प्रक्रिया चल रही है।

Point of View

मैं मानता हूं कि चुनाव आयोग का यह कदम हमारे लोकतंत्र को और मजबूत बनाएगा। इसे लेकर सभी राजनीतिक दलों को पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए तत्पर रहना चाहिए।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत निर्वाचन आयोग ने यह प्रक्रिया क्यों शुरू की?
यह प्रक्रिया चुनावी प्रणाली को स्वच्छ और संगठित बनाने के लिए शुरू की गई है।
गैर-मान्यता प्राप्त दलों को हटाने की प्रक्रिया में क्या शामिल है?
प्रक्रिया में उन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा जो 6 वर्षों से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
इस प्रक्रिया का क्या महत्व है?
यह प्रक्रिया चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
कौन-कौन से राज्य में यह प्रक्रिया लागू की गई है?
यह प्रक्रिया अंडमान और निकोबार, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, और अन्य राज्यों में लागू की गई है।
इस प्रक्रिया का अंतिम निर्णय कौन लेगा?
अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा।