क्या बिहार की कानून-व्यवस्था पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, राज्यपाल को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
- कांग्रेस ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है।
- बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सवाल उठाए गए हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता इस स्थिति का मुख्य कारण है।
नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के मामले ने राजनीतिक हलचल को जन्म दिया है। कांग्रेस ने इस घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार में बढ़ते अपराध के मुद्दे पर नीतीश सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "गोपाल खेमका सिर्फ एक साधारण नागरिक नहीं थे, वे एक प्रतिष्ठित व्यापारी और एक प्रसिद्ध समाजसेवी थे। उनके घर पर यह दूसरी दुखद घटना है। मैं 4-5 साल पहले भी उनके घर गया था, जब उनके बेटे की हत्या हुई थी। वे जिस स्थान पर निवास करते हैं, वहां अधिकारियों का आवास है। इसके बावजूद, अपराधियों ने घात लगाकर उनकी हत्या कर दी और इस घटना के दो घंटे बाद तक पुलिस भी नहीं पहुंची। जिनके बेटे की कई साल पहले हत्या की गई उन्हें ही सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई? यह गोपाल खेमका की हत्या नहीं है बल्कि बिहार सरकार के सीने पर सीधा हमला है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने मांग की है कि राज्यपाल को इस घटना पर तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। अपराध और अपराधीकरण के मुद्दे पर विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए और उस पर चर्चा कर समाधान निकाला जाना चाहिए।"
झारखंड के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बिहार सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, "बिहार में अब कानून-व्यवस्था नहीं बची है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचेत अवस्था में रहते हैं। जब उन्हें होश आता है तो उन्हें अपनी कुर्सी नजर आती है और जब कुर्सी केंद्र बिंदु में होती है, तो जनता का कोई ख्याल नहीं रहता है। जिस प्रकार से घटनाएं सामने आ रही हैं, ऐसा लगता है कि इसकी फिक्र मुख्यमंत्री को नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उनके सहयोगी ही उन्हें बाहर करने में लगे हुए हैं। मुझे लगता है कि यही बात बिहार के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।"