क्या कांग्रेस में नैतिकता है तो राजद से रिश्ता तोड़ लेना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- इंडी अलायंस में फूट पड़ रही है।
- कांग्रेस को नैतिकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
- राजद से रिश्ता तोड़ने का सुझाव दिया गया।
- चुनाव आयोग की स्थिति पर सवाल उठाने से पहले आत्ममंथन करने की सलाह।
- आपातकाल पर विवादित टिप्पणियाँ।
पटना, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि इंडी अलायंस में दरारें आ रही हैं और ऐसा लगता है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह गठबंधन बिखर जाएगा। अगर कांग्रेस में ज़रा भी नैतिकता बची है, तो उसे राजद से अपने संबंध तोड़ लेने चाहिए।
राजीव रंजन ने गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि बुधवार को न सिर्फ बिहार के लोगों ने, बल्कि पूरे देश ने देखा कि कैसे सांसद राजेश रंजन, जिन्हें पप्पू यादव के नाम से जाना जाता है, और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को उस मंच पर जाने से रोका गया, जहां लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत इंडी अलायंस के अन्य नेता उपस्थित थे।
तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए जदयू नेता ने कहा कि तेजस्वी को उन सभी लोगों से समस्या है जो अपने व्यक्तित्व के आधार पर राजनीति करना चाहते हैं। पप्पू यादव ने अपनी अलग पहचान बनाई है और कन्हैया कुमार को भी देश जानता है। यह अलग बात है कि राहुल के पसंदीदा चेहरे तेजस्वी के लिए स्वीकार्य नहीं हैं। गठबंधन की दरारें अब खुलकर सामने आ चुकी हैं। तेजस्वी ने कहीं न कहीं राहुल गांधी को भी चुनौती दी है। यदि कांग्रेस के अंदर थोड़ी भी नैतिकता है, तो उसे राजद से अपने रिश्ते तोड़ लेने चाहिए।
चुनाव आयोग पर विपक्ष के बयानों पर राजीव रंजन ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग की स्थिति पर सवाल उठाने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उस समय मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियां उनके कार्यकारी आदेशों से होती थीं। इस देश में 13 बार गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम चलाए जा चुके हैं। 2003 में 31 दिनों में यह कार्यक्रम पूरा हुआ था। वर्तमान अभियान की बात करें तो 15 दिन बाकी हैं, और लगभग 60 प्रतिशत से अधिक आवेदन आयोग को मिल चुके हैं। समय सीमा से पहले काम पूरा होगा। जो लोग अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, वे वही लोग हैं, जो अपनी जमीन खो चुके हैं।
आपातकाल पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान पर राजीव रंजन ने कहा कि राजनीतिक दलों का यही इतिहास रहा है। उस समय भी कांग्रेस में कई बड़े नेता थे, जिन्होंने इंदिरा गांधी के फैसलों का विरोध किया। यह कोई नई बात नहीं है। किसी भी कांग्रेसी में आपातकाल की वकालत करने की क्षमता नहीं है। शशि थरूर एक समझदार और बौद्धिक रूप से प्रखर नेता हैं। उन्होंने आपातकाल को लेकर नाराजगी व्यक्त की है।