क्या महमूद मदनी को कांग्रेस नेता हुसैन दलवई की नसीहत माननी चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- हिंदू-मुस्लिम रिश्तों में सौहार्द की आवश्यकता है।
- विवादित बयानों से बचना चाहिए।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
मुंबई, १ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने सोमवार को मौलाना महमूद मदनी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान से हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान होगा।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में हुसैन दलवई ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए, हमें हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच प्रेम और सौहार्द स्थापित करने की आवश्यकता है। यदि तनाव बढ़ता है, तो यह भाजपा के लिए फायदेमंद होगा।
उन्होंने मौलाना मदनी को सलाह दी कि वे ऐसे विवादित बयान देने से बचें और इसके बजाय सौहार्दपूर्ण रिश्तों पर जोर दें। मदनी को समझना चाहिए कि यहाँ का हिंदू समुदाय मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है; यह आरएसएस की राजनीति है जो नफरत फैलाने का प्रयास करती है। अब देश की जनता इस प्रकार की राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।
हुसैन दलवई ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है और यह हिंदुत्व के आधार पर शासन कर रही है, जो संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के अधिकारों का हनन कर रही है और मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण लाकर वोटों की चोरी की जा रही है।
प्रधानमंत्री पर भी उन्होंने निशाना साधा, कहा कि उन्होंने संसद में बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से बचने के लिए विपक्ष को लक्ष्य बनाया। उन्होंने विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता ने संसद के छोटे सत्र पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि पहले सत्र लंबे समय तक चलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा ताकि विपक्ष अपनी बात न रख सके।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ बयान को भी उन्होंने आरएसएस से प्रेरित बताया।