क्या ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ केवल एक चुनावी घोषणा है? : कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से योजना शुरू की गई है।
- कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इसे चुनावी घोषणा बताया है।
- 75 लाख महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए का हस्तांतरण किया गया है।
- योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं।
- महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण का अवसर दिया गया है।
लखनऊ, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम मोदी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का आरंभ किया। इस योजना के तहत 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10 हजार रुपए का हस्तांतरण किया गया है, जिसके लिए महिलाओं ने पीएम मोदी और नीतीश कुमार का आभारचुनावी घोषणा बताया है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि देश की जनता जानती है कि प्रधानमंत्री मोदी अक्सर चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं, जिन्हें चुनाव के बाद भुला दिया जाता है।
इस योजना का उद्देश्य बिहार की 75 लाख महिलाओं को स्वरोजगार और आजीविका सृजन में मदद करना है, ताकि वे अपने आर्थिक स्थिरता के लिए सीधे अपने बैंक खातों में 10,000 रुपए प्राप्त कर सकें।
महिलाओं को सशक्त बनाने के इस उद्देश्य पर तिवारी ने सवाल उठाते हुए इसके कार्यान्वयन की समयसीमा और ईमानदारी पर संदेह प्रकट किया और इसे चुनावी रणनीति करार दिया।
तिवारी ने कहा कि चुनाव की तारीखों का जल्द ही ऐलान होगा। उन्होंने पूछा कि यह योजना पहले क्यों नहीं लागू की गई? वे 20 साल से अधिक समय से सत्ता में हैं। लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी घोषणाएं चुनावी मौसम के लिए रखते हैं और मतदान के बाद भूल जाते हैं।
उन्होंने इस योजना की मंशा और क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाए और कहा कि वे हमेशा बड़ी-बड़ी रकम की घोषणाएं करते रहते हैं, लेकिन पैसे
महाराष्ट्र चुनाव के दौरान उन्होंने जो पैकेज देने का वादा किया था, वह कहां है? यह सब केवल दिखावा है। बिहार में उनकी स्थिति खराब हो रही है और जनता ने तय कर लिया है कि इस बार उन्हें सत्ता से बाहर करेंगे।
तिवारी ने यह भी सवाल किया कि बिहार का स्पेशल पैकेज कहां है, विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया गया?
तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रांडेड और पेटेंटेड दवा पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा पर कहा कि भारत पहले ही बहुत कुछ झेल चुका है। टैरिफ में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी और जुर्माने के साथ यह 50 प्रतिशत हो गया। वीजा के नाम पर अब 88 लाख रुपये चुकाने होंगे। विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों को करोड़ों का नुकसान होगा, क्योंकि ये भुगतान डॉलर में होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी को संवाद शुरू करना चाहिए, न कि प्रयोग करना बंद करना चाहिए। इन मुद्दों पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की विदेश नीति की गलतियों के कारण भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। उन्हें टैरिफ को कम करना चाहिए और वीजा का 88 लाख का शुल्क वापस लेना चाहिए। संवाद के जरिए समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
लेह में कांग्रेस द्वारा युवाओं के विरोध प्रदर्शन को भड़काने के भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए तिवारी ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि ये भाजपा नेता या तो अशिक्षित हैं या जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वे स्पष्ट रूप से जेनरेशन जेड को नहीं समझते। युवाओं का विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। युवा पीढ़ी के लिए अपनी आवाज़ उठाना स्वाभाविक है। अगर भाजपा को लगता है कि यह गलत है, तो शायद उनकी शिक्षा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।