क्या दीपोत्सव से कुम्हारों के घर रोशन हुए हैं, अयोध्या में युवाओं को मिल रहा रोजगार?

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क्या दीपोत्सव से कुम्हारों के घर रोशन हुए हैं, अयोध्या में युवाओं को मिल रहा रोजगार?

सारांश

दीपोत्सव ने अयोध्या के कुम्हार परिवारों के जीवन को रोशन कर दिया है। युवा अब आत्मनिर्भर हो रहे हैं और रोजगार पा रहे हैं। योगी सरकार के प्रयासों से पारंपरिक मिट्टी कला को नई पहचान मिल रही है। जानिए कैसे यह महोत्सव कुम्हारों के लिए वरदान साबित हुआ है।

Key Takeaways

  • दीपोत्सव ने कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।
  • आधुनिक तकनीक के उपयोग से दीयों की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।
  • योगी सरकार की योजनाओं ने पारंपरिक कला को नई पहचान दी है।

अयोध्या, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपोत्सव की शुरुआत के साथ ही अयोध्या के कुम्हार परिवारों में खुशहाली का प्रकाश फैल गया है। जो युवा पहले काम की तलाश में बाहर जाते थे, अब वे अपनी भूमि पर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। योगी सरकार के प्रयासों से प्रारंभ हुए दीपोत्सव ने न केवल अयोध्या की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, बल्कि पारंपरिक मिट्टी कला को भी नई पहचान दी है।

इस बार के नौवें दीपोत्सव में 26 लाख 11 हजार 101 दीप जलाने का लक्ष्य रखा गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। अवध विश्वविद्यालय के छात्र, अधिकारी और स्वयंसेवी संगठन भी इस महाउत्सव को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हुए हैं।

जयसिंहपुर गांव के बृज किशोर प्रजापति कहते हैं कि जबसे दीपोत्सव मनाया जाने लगा है, तबसे वे और उनका परिवार लगातार दीए बना रहे हैं। इस बार उन्हें दो लाख दीए बनाने का ऑर्डर मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव की परंपरा शुरू कर हमारे जैसे परिवारों को रोजगार से जोड़ा है। अब हम आत्मनिर्भर हैं।

पुरानी परंपराओं को छोड़कर अब कुम्हार आधुनिक इलेक्ट्रिक चाक का उपयोग कर रहे हैं। इससे न केवल उत्पादन में तेजी आई है बल्कि दीयों की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है। जयसिंहपुर गांव के करीब 40 से अधिक कुम्हार परिवार दीपोत्सव के लिए दिन-रात मिट्टी के दीए बनाने में लगे हैं।

2017 से पहले ये कुम्हार रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे थे। दीपोत्सव के प्रारंभ होने के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। पहले ये परिवार महीने में 20 से 25 हजार रुपये कमाते थे, वहीं अब दीपोत्सव के दौरान लाखों रुपये की आमदनी हो जाती है।

सोहावल की पिंकी प्रजापति बताती हैं कि इस बार उन्हें एक लाख दीए बनाने का ऑर्डर मिला है। उन्होंने कहा, पहले दीपावली के समय दीए सस्ते बिकते थे, अब सरकार के आह्वान से बाजार में अच्छा रेट मिल रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दीपोत्सव में मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे स्थानीय कुम्हारों को बड़े स्तर पर ऑर्डर मिल रहे हैं। जयसिंहपुर, विद्याकुण्ड, सोहावल और आसपास के गांवों में इस समय उत्सव जैसा माहौल है।

अयोध्या के स्थानीय निवासी रामभवन प्रजापति, गुड्डू प्रजापति, राजू प्रजापति, जगन्नाथ प्रजापति, राम भवन प्रजापति, सुनील प्रजापति और संतोष प्रजापति समेत यहां सैकड़ों की संख्या में पूरा परिवार मिट्टी गूंथने, आकार देने और दीयों को सुखाने-बेचने में जुटा है।

Point of View

बल्कि उनके आर्थिक उत्थान का माध्यम बन गया है। यह सरकार की योजनाओं का सकारात्मक परिणाम है, जिसने पारंपरिक कला को न केवल मान्यता दी, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान किए।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

दीपोत्सव से कुम्हारों को कितना लाभ हो रहा है?
दीपोत्सव के दौरान कुम्हारों की आय लाखों रुपये में पहुंच जाती है, जो पहले 20 से 25 हजार रुपये थी।
कुम्हार अब किन उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं?
कुम्हार अब आधुनिक इलेक्ट्रिक चाक का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उत्पादन में तेजी और गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
दीपोत्सव में कितने दीये जलाने का लक्ष्य है?
इस बार दीपोत्सव में 26 लाख 11 हजार 101 दीये जलाने का लक्ष्य रखा गया है।