क्या दिल्ली के मेट्रो स्टेशन पर दसवीं कक्षा के छात्र ने आत्महत्या की? शिक्षकों पर उत्पीड़न का आरोप
सारांश
Key Takeaways
- शिक्षकों द्वारा उत्पीड़न छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
- सुसाइड नोट में परिवार के प्रति माफी और कार्रवाई की इच्छा का जिक्र है।
- स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों को सुरक्षित माहौल मुहैया कराएं।
- पुलिस जांच में शिक्षकों की भूमिका की जांच की जा रही है।
- इस घटना ने शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस ने 18 नवंबर को राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन पर दसवीं कक्षा के एक 16 वर्षीय छात्र की आत्महत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। छात्र की पहचान शौर्य पाटिल के रूप में हुई है, जो मध्य दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ता था।
एफआईआर के अनुसार, करोल बाग निवासी शौर्य के पिता प्रदीप पाटिल ने कहा कि कई शिक्षकों द्वारा कथित उत्पीड़न के कारण उनका बेटा मानसिक दबाव में था। पाटिल ने कहा कि उनका बेटा अक्सर शिक्षक की डांट, अपमान और छोटी-छोटी बातों पर परेशान होने की शिकायत करता था। एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि शिक्षकों और प्रधानाचार्य से मौखिक शिकायत करने के बावजूद, यह गैर-जिम्मेदार व्यवहार जारी रहा।
घटना के दिन, पाटिल अपनी मां की सर्जरी के लिए कोल्हापुर में थे। शौर्य सुबह लगभग 7:15 बजे स्कूल के लिए निकला। दोपहर लगभग 2:45 बजे, पाटिल को फोन आया कि उनका बेटा राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन पर मृत पाया गया है। उन्होंने फोन करने वाले को बच्चे को बीएलके कपूर अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एफआईआर में दर्ज है कि लड़के ने मेट्रो स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 2 से कथित तौर पर कूद लगाई थी।
एफआईआर के अनुसार, शौर्य के सहपाठियों अयान सचदेवा, दक्ष और अश्मीर ने परिवार को बताया कि पिछले दिनों एक शिक्षक ने उसके माता-पिता को स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) जारी करने की धमकी दी थी। एक अन्य शिक्षक ने 18 नवंबर को कक्षा में उसे डांटा और अपमानित किया। एफआईआर के अनुसार घटना के दौरान प्रिंसिपल भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।
पुलिस ने मौके से शौर्य का स्कूल बैग बरामद किया, जिसमें एक सुसाइड नोट मिला है। नोट में किशोर ने अपने परिवार से माफी मांगी और लिखा कि स्कूल के शिक्षकों की हरकतों ने उसे इस स्थिति में धकेल दिया। उसने यह भी इच्छा जताई कि कार्रवाई की जाए ताकि किसी और बच्चे को तकलीफ न हो और कहा कि अगर संभव हो तो उसके अंग दान कर दिए जाएं।