क्या दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 5.92 करोड़ के इन्वेस्टमेंट फ्रॉड का भंडाफोड़ किया?

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क्या दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 5.92 करोड़ के इन्वेस्टमेंट फ्रॉड का भंडाफोड़ किया?

सारांश

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने साइबर सेल की मदद से उत्तराखंड के हल्द्वानी में चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। ये आरोपी 5.92 करोड़ रुपए के बड़े साइबर फ्रॉड का हिस्सा थे, जो दुबई स्थित मास्टरमाइंड के लिए काम कर रहे थे। जानिए इस मामले की पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • साइबर फ्रॉड से सतर्क रहना आवश्यक है।
  • संगठित अपराधों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है।
  • आर्थिक सुरक्षा के लिए तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।
  • साइबर सेल की कार्रवाई से एक बड़ा नेटवर्क ध्वस्त हुआ है।
  • सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल से सावधान रहना चाहिए।

नई दिल्ली, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने एक बड़े संगठित साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए उत्तराखंड के हल्द्वानी से चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी पूरे भारत में 5.92 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने वाले उच्च मात्रा वाले म्यूल अकाउंट्स का संचालन करते थे और दुबई

मामला अप्रैल 2025 में दर्ज एफआईआर नंबर 131/25 (पीएस स्पेशल सेल) से संबंधित है, जिसमें एक पीड़ित से फेसबुक पर एक फर्जी महिला प्रोफाइल ('') के माध्यम से संपर्क कर सीबीसीएक्स ग्लोबल ट्रेडर्स, मुंबई नामक कथित एनबीएफसी में 'हाई रिटर्न' निवेश का लालच दिया गया। दो महीनों तक लगातार उकसाने के बाद पीड़ित से कुल 5,92,44,480 रुपए की ठगी की गई।

एक विस्तृत आर्थिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ठगी का पैसा पहले 33 विभिन्न बैंक अकाउंट्स में वितरित किया गया, फिर कई स्तरों में ट्रांसफर कर ट्रेल मिटाने का प्रयास किया गया। साइबर सेल ने एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज 10 अन्य शिकायतों से भी संबंध जोड़ा, जिसमें केवल दर्ज की गई शिकायतों में ही 1.1 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी सामने आई।

गिरफ्तार आरोपियों में अनस अंसारी (22), मोहम्मद कैफ (22), आकिब (40) और मोहम्मद दानिश (22) शामिल हैं। दानिश दुबई-बेस्ड हैंडलर के लिए म्यूल अकाउंट्स संचालित करता था, ओटीपी साझा करता था, और नकद निकालकर कमीशन पर बाँटता था। बाकी तीनों आरोपी अपने-अपने बैंक अकाउंट्स का उपयोग ठगी के पैसे को तुरंत कैश करने के लिए करते थे।

डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम ने कहा कि यह एक बहु-स्तरीय साइबरक्राइम सिंडिकेट है जिसमें फ्रंट-एंड फ्रॉडस्टर, लेयर-1 बिजनेस अकाउंट्स, लेयर-2 म्यूल अकाउंट्स और कैश कलेक्टर्स शामिल हैं। इस कार्रवाई ने पूरे नेटवर्क को गहरा झटका दिया है।

यह कार्रवाई एसीपी साइबर सेल अनिल शर्मा के दिशा-निर्देशन में इंस्पेक्टर मंजीत कुमार की टीम द्वारा की गई। टीम में एसआई परवेश कुमार, एएसआई कंवरपाल, हेड कांस्टेबल विपिन, अनुज, मनीष और विनोद ने तकनीकी विश्लेषण, बैंक समन्वय और हल्द्वानी में लक्षित छापे की योजना बनाई। सभी आरोपियों को दिल्ली लाया गया है और आगे की पूछताछ जारी है।

Point of View

बल्कि यह हमारी आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकती हैं। हमें जागरूक रहने की आवश्यकता है और ऐसे मामलों की जांच-पड़ताल को सख्त करना होगा।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

साइबर फ्रॉड क्या है?
साइबर फ्रॉड एक ऐसा अपराध है जिसमें तकनीकी माध्यमों का उपयोग करके धोखाधड़ी की जाती है।
इस मामले में कितने आरोपी गिरफ्तार हुए हैं?
इस मामले में चार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
गिरफ्तार आरोपियों का क्या काम था?
गिरफ्तार आरोपी म्यूल अकाउंट्स का संचालन कर रहे थे और ठगी के पैसे को कैश करने का काम कर रहे थे।
क्या सरकार इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए कुछ कर रही है?
हाँ, सरकार साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई उपाय कर रही है।
ठगी का पैसा किस तरह से ट्रांसफर किया गया?
ठगी का पैसा पहले विभिन्न बैंक अकाउंट्स में बंटा और फिर कई लेयर्स में ट्रांसफर कर इसे छुपाने का प्रयास किया गया।
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