दिल्ली दंगा मामला: क्या आरोपियों की जमानत याचिका पर 3 नवंबर को होगी अगली सुनवाई?

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दिल्ली दंगा मामला: क्या आरोपियों की जमानत याचिका पर 3 नवंबर को होगी अगली सुनवाई?

सारांश

दिल्ली दंगा मामले में जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें विभिन्न आरोपियों के वकीलों ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 3 नवंबर निर्धारित की। क्या न्याय की प्रतीक्षा में ये आरोपी फिर से जेल में रहेंगे? जानें इस मामले की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • दिल्ली दंगा मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई जारी है।
  • अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
  • गुलफिशा फातिमा एकमात्र महिला आरोपी हैं, जिन्हें अभी जमानत नहीं मिली है।
  • वकीलों ने आरोपियों के खिलाफ साक्ष्यों की कमी पर जोर दिया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 2020 के दिल्ली दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान और मोहम्मद सलीम खान की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

इस दौरान अदालत में सभी आरोपियों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। सबसे पहले गुलफिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं।

उन्होंने अदालत को बताया कि गुलफिशा पिछले पांच साल से जेल में बंद हैं। पहली चार्जशीट 16 सितंबर 2020 को दाखिल हुई थी, जिसके बाद हर साल सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाती रही। सिंघवी ने कहा कि इस केस में ट्रायल में देरी हो रही है। आज तक आरोप तय भी नहीं हो पाए हैं।

उन्होंने कहा कि गुलफिशा इस केस में जेल में बंद एकमात्र महिला आरोपी हैं, जबकि इसी मामले में अन्य महिला आरोपियों (देवांगना और नताशा) को पहले ही जमानत मिल चुकी है। ऐसे में समान आधार पर गुलफिशा भी जमानत की हकदार हैं।

सिंघवी ने अदालत को बताया कि गुलफिशा पर आरोप है कि उन्होंने धरना स्थल स्थापित किए थे, लेकिन उन स्थानों पर कभी भी कोई हिंसा नहीं हुई। उन्होंने कहा, "जहां भी वो मौजूद थीं, वहां किसी के पास तेजाब, मिर्च पाउडर या किसी भी हथियार का कोई सबूत नहीं मिला।"

वकील ने आगे कहा कि पुलिस ने ताहिर हुसैन से मिले पैसों से आतंकी गतिविधि चलाने का आरोप लगाया, लेकिन न तो पैसे का स्रोत बताया गया और न ही कोई सबूत पेश किया गया। उन्होंने कहा, "अगर पुलिस मुझे ताहिर हुसैन से जोड़ना चाहती है, तो उन्हें कम से कम कोई कड़ी दिखानी होगी।"

सिंघवी ने यह भी बताया कि जमानत याचिका 90 से ज्यादा बार सूचीबद्ध हो चुकी है, फिर भी सुनवाई में लगातार देरी हो रही है।

इसके बाद उमर खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में दंगे हुए, तब उमर खालिद दिल्ली में मौजूद ही नहीं थे। सिब्बल ने बताया कि उमर पर केवल साजिश रचने का आरोप है और उनके खिलाफ न कोई हथियार बरामद हुआ, न कोई पैसा, न ही कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य जो उन्हें हिंसा से जोड़ सके। उन्होंने कहा, "751 एफआईआर में से केवल एक में उनका नाम है और वह भी सिर्फ साजिश के आधार पर।"

इसके बाद शरजील इमाम की ओर से वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अभियोजन पक्ष को इस मामले की जांच पूरी करने में तीन साल लग गए। एफआईआर 6 मार्च 2020 को दर्ज हुई थी, जबकि पहली चार्जशीट 16 सितंबर 2020 को और अंतिम सप्लीमेंट्री चार्जशीट 7 जून 2023 को दाखिल हुई। उन्होंने कहा कि अगर पांच साल बीत गए हैं, तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मेरी ओर से कोई देरी नहीं हुई।

दवे ने बताया कि शरजील की गिरफ्तारी 25 अगस्त 2020 को हुई थी और वह तब से लगातार जेल में हैं। उन्होंने कहा कि शरजील पहले से ही जनवरी 2020 में दर्ज एक अन्य एफआईआर में हिरासत में था। अदालत को गुण-दोष के आधार पर उसकी जमानत पर विचार करना चाहिए।

अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अब अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

Point of View

हमें इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। हर आरोपी को कानूनी अधिकार है और न्याय का मार्ग लंबा हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस प्रक्रिया को ध्यान से देखें और समाज के लिए सही दिशा में एक उदाहरण स्थापित करें।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली दंगा मामला क्या है?
दिल्ली दंगा मामला 2020 में हुए दंगों से संबंधित है, जिसमें कई आरोपियों पर साजिश और हिंसा के आरोप लगाए गए हैं।
अगली सुनवाई कब होगी?
इस मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
क्या आरोपियों को जमानत मिल सकती है?
जमानत मिलने का निर्णय अदालत द्वारा उनके वकीलों की दलीलों के आधार पर किया जाएगा।
इस मामले में कितने आरोपी हैं?
इस मामले में कुल 6 आरोपी हैं, जिनमें प्रमुख नाम शरजील इमाम और उमर खालिद शामिल हैं।
क्या आरोपियों का जुर्म सिद्ध हुआ है?
अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है, और मामला अभी भी सुनवाई में है।