क्या दिल्ली में होगा ईएसटीआईसी-2025, इसरो प्रमुख ने देश के अंतरिक्ष मिशनों की प्रगति बताई?
सारांश
Key Takeaways
- ईएसटीआईसी-2025 सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- इसरो द्वारा गगनयान और चंद्रयान जैसे मिशनों की तैयारी जारी है।
- भारत की अंतरिक्ष आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए ये मिशन महत्वपूर्ण हैं।
- कॉन्क्लेव में 40 से अधिक डीप-टेक स्टार्टअप्स अपने इनोवेशन प्रदर्शित करेंगे।
- भारत की वैज्ञानिक यात्रा अब सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहेगी।
बेंगलुरु, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली इस बार देश के सबसे बड़े विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन 'एमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी-2025)' की मेज़बानी करने जा रही है।
यह आयोजन वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत और नवाचारकर्ताओं को एक मंच पर लाने हेतु आयोजित किया गया है, ताकि 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य की दिशा में तकनीकी रोडमैप तैयार किया जा सके।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान मंत्री द्वारा किया जाएगा और इसका मुख्य उद्देश्य भारत में विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन ने एक संवाददाता सम्मेलन में भारत के अंतरिक्ष मिशनों की प्रगति का विवरण साझा किया और बताया कि इस तरह के राष्ट्रीय आयोजन देश के वैज्ञानिक समन्वय को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने कहा, "ईएसटीआईसी-2025 ऐसा मंच है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी सभी एजेंसियों को एक साथ लाएगा। गगनयान और चंद्रयान जैसे मिशन केवल इसरो की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के संपूर्ण वैज्ञानिक तंत्र की सामूहिक सफलता है।"
डॉ. नारायणन ने बताया कि भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा, "लगभग 85 से 90 प्रतिशत सब-सिस्टम स्तर की गतिविधियां पूरी कर ली गई हैं। अब हम इंटीग्रेटेड टेस्ट और सॉफ्टवेयर वैलिडेशन कर रहे हैं।"
गगनयान मिशन के अंतर्गत पहले तीन मानवरहित उड़ानें लॉन्च की जाएंगी ताकि सभी सुरक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद मानवयुक्त मिशन भेजा जाएगा।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इस मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम प्रधानमंत्री ने 2023 में घोषित किए थे। उनका प्रशिक्षण अभी भी सघन रूप से जारी है। फिलहाल उन्हें सार्वजनिक जीवन से दूर रखा गया है ताकि वे पूरी तरह मिशन पर केंद्रित रह सकें।
डॉ. नारायणन ने बताया कि इसरो को हाल ही में 'ब्लूबर्ड' संचार उपग्रह प्राप्त हुआ है और इसे लॉन्च के लिए तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "लॉन्च की तारीख प्रधानमंत्री द्वारा घोषित की जाएगी और हमारा लक्ष्य इसे इस वर्ष के अंत तक पूरा करना है।"
साथ ही उन्होंने चंद्रयान मिशन-4 के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "चंद्रयान-4 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यह मिशन भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमताओं को और सशक्त करेगा।"
उन्होंने कहा, "गगनयान, चंद्रयान और ब्लूबर्ड तीनों ही मिशन भारत की अंतरिक्ष आत्मनिर्भरता की दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे।"
यह सम्मेलन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें इसरो, डीआरडीओ, एमईआईटीवाई, आईसीएमआर सहित कई वैज्ञानिक संस्थान हिस्सा लेंगे।
यह आयोजन भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के मार्गदर्शन में होगा।
कॉन्क्लेव में 7 नोबेल विजेताओं और वैश्विक वैज्ञानिकों के व्याख्यान, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय पैनल चर्चा, 11 थीमैटिक सत्र, जिनमें एआई, क्वांटम टेक्नोलॉजी, ब्लू इकॉनमी, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन, स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे विषय शामिल होंगे।
साथ ही, 40 से अधिक डीप-टेक स्टार्टअप्स अपने इनोवेशन प्रदर्शित करेंगे और 100 युवा वैज्ञानिक व इंजीनियर अपने शोध पोस्टर प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा अब सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि नवाचार, रोजगार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के नए युग की ओर बढ़ेगी।