क्या अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन का आयोजन ऐतिहासिक है? विजेंद्र गुप्ता का बयान

सारांश
Key Takeaways
- अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन का आयोजन २४ अगस्त को होगा।
- इसमें ३२ पीठासीन अधिकारियों की भागीदारी होगी।
- सम्मेलन का उद्देश्य संसदीय प्रक्रियाओं पर चर्चा करना है।
- यह आयोजन दिल्ली विधानसभा के लिए गर्व का क्षण है।
- सभी दलों का समर्थन इस आयोजन को मजबूती प्रदान करता है।
नई दिल्ली, २२ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह २४ अगस्त को दिल्ली विधानसभा में दो दिवसीय अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
यह सम्मेलन देश के पहले निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष विट्ठल भाई पटेल द्वारा केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष पद ग्रहण करने के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश भर के विधानसभा और विधान परिषदों के ३२ पीठासीन अधिकारी, जिनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति और उपसभापति शामिल हैं, हिस्सा लेंगे।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस आयोजन को राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी लोग एकजुट होकर इसका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “यह दिल्ली विधानसभा का शताब्दी समारोह है और इस अवसर पर अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन का आयोजन ऐतिहासिक है। हमारी तैयारियां जोरों पर हैं और हमें विश्वास है कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से सफल होगा। सभी दलों का समर्थन इस आयोजन को और मजबूती प्रदान कर रहा है।”
विजेंद्र गुप्ता ने आगे बताया कि इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडल के पीठासीन अधिकारी हिस्सा लेंगे। यह आयोजन न केवल दिल्ली विधानसभा के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह देश की संसदीय प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण है। सम्मेलन में विधायी प्रक्रियाओं, संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों पर चर्चा होगी, जो देश की विधानसभाओं के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देगी।
दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी वक्ता यहां से कुछ यादगार और महत्वपूर्ण सबक लेकर जाएंगे। यह आयोजन न केवल संसदीय कार्यप्रणाली को मजबूत करेगा, बल्कि देश भर की विधानसभाओं के बीच अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का अवसर भी प्रदान करेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन दिल्ली विधानसभा के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह आयोजन भारत की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।