क्या दिल्ली में धुंध की मोटी परत ने वायु गुणवत्ता सूचकांक को 400 के करीब पहुंचा दिया?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के करीब पहुंचा।
- घने धुंध और स्मॉग ने दैनिक जीवन को प्रभावित किया।
- एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति गंभीर है।
- सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
- बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। हवा की गति में कमी और तापमान में गिरावट के चलते राजधानी में घना धुंध छाया हुआ है। गुरुवार को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में धुंध की मोटी परत स्पष्ट रूप से नजर आई। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगभग 400 के स्तर पर पहुंच गया, जो कि 'गंभीर' श्रेणी में आता है।
इंडिया गेट, राजपथ और राष्ट्रपति भवन घने स्मॉग की चादर में लिपटे हुए हैं। आईटीओ क्षेत्र में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 399 बना हुआ है। इसके साथ ही, तुगलकाबाद-महरौली-बदरपुर इलाके में प्रदूषण की स्थिति और भी चिंताजनक रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 479 तक पहुंच गया। सड़कों और पार्कों में भी स्मॉग की स्पष्टता देखी जा सकती है।
प्रदूषण का असर केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि एनसीआर के अन्य शहर भी गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। फरीदाबाद में एक्यूआई 380, गुरुग्राम 385, नोएडा 372, ग्रेटर नोएडा 378 और गाजियाबाद 388 दर्ज किया गया है।
दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित किया है। राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान एक व्यक्ति ने चिंता जताते हुए कहा, "बहुत मुश्किल हो रही है। सांस लेने में कठिनाई होती है और आंखों में जलन होती है। बाहर निकलना पड़ता है। अगर बाहर नहीं जाएंगे तो स्थिति बिस्तर पर पड़े रहने की बन जाएगी। कुछ करना चाहिए, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता है।"
इससे पहले, दिल्ली में बिगड़ी हुई हवा के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सरकार से अनुरोध किया था कि नवंबर और दिसंबर के महीनों में निर्धारित शारीरिक खेल प्रतियोगिताओं को स्थगित किया जाए, ताकि एयर पॉल्यूशन से छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
आयोग ने यह कदम सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों के आलोक में उठाया, जिसमें वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर और इसके बच्चों पर संभावित स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी।