क्या दिल्ली मेट्रो ने 23 साल पूरे कर लिए? तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल ने दी थी हरी झंडी, 40 प्रतिशत बिजली खुद बनाती है मेट्रो

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क्या दिल्ली मेट्रो ने 23 साल पूरे कर लिए? तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल ने दी थी हरी झंडी, 40 प्रतिशत बिजली खुद बनाती है मेट्रो

सारांश

दिल्ली मेट्रो ने 23 वर्षों में अद्वितीय सफर तय किया है। यह न केवल परिवहन का एक बड़ा साधन बन गई है, बल्कि तकनीकी उन्नति और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जानें कैसे मेट्रो ने अपनी यात्रा में कई मील के पत्थर पार किए हैं।

Key Takeaways

  • दिल्ली मेट्रो ने 23 साल पूरे किए हैं।
  • इसने 40 प्रतिशत बिजली खुद बनाने की क्षमता हासिल की है।
  • यात्रियों की सुरक्षा के लिए नई तकनीकें लागू की जा रही हैं।
  • इसकी पहली ट्रेन ने 2.9 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की है।
  • दिल्ली मेट्रो भारत का सबसे सफल मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम है।

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी दिल्ली मेट्रो ने बुधवार को अपने 23 साल पूरे कर लिए। 24 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रेड लाइन पर शाहदरा से तीस हजारी के बीच पहली मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

यह मेट्रो दिल्ली के परिवहन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। इस पहली ट्रेन ने अपनी रेवेन्यू सर्विस की शुरुआत की। इसी दिन से न केवल दिल्ली मेट्रो का सफर शुरू हुआ, बल्कि भारत का सबसे सफल और भरोसेमंद मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी स्थापित हुआ।

दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर चलने वाली यह पहली ट्रेन आज भी बड़े ट्रेन बेड़े में अपनी विशेष पहचान रखती है। इसे समय-समय पर वैश्विक मानकों के अनुरूप अपग्रेड किया गया है, जिससे यह आधुनिक और सुरक्षित बनी रहे। शुरुआत में इस ट्रेन में चार कोच थे, लेकिन यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 2014 में कोचों की संख्या छह और फिर 2023 में इसे बढ़ाकर आठ कर दिया गया।

2002 से लगातार सेवा में रही इस ट्रेन ने अब तक लगभग 2.9 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की है। इस दौरान करीब 2.4 मिलियन बार दरवाजों का संचालन हुआ और 60 मिलियन से अधिक यात्रियों ने सुरक्षित यात्रा की। चार कोच वाली इस ट्रेन की प्रारंभिक लागत लगभग 24 करोड़ रुपए थी।

इस ट्रेन के एडवांस्ड प्रोपल्शन सिस्टम ने रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के माध्यम से इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली का लगभग 40 प्रतिशत पुनः उत्पन्न कर कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब तक डीएमआरसी की मेंटेनेंस टीम द्वारा इसके दो बड़े ओवरहॉल किए जा चुके हैं, जिनकी बदौलत यह न्यूनतम 40,000 किलोमीटर की कॉन्ट्रैक्ट शर्त के मुकाबले 85,000 किलोमीटर का एमडीबीएफ बनाए रखने में सफल रही है।

2024 में इसके मिड-लाइफ रिहैबिलिटेशन के तहत आधुनिक आईपी आधारित सीसीटीवी, एकीकृत यात्री आपातकालीन अलार्म, एलसीडी डायनामिक रूट मैप, फायर डिटेक्शन सिस्टम, डोर और रिले पैनल मरम्मत, मोबाइल-लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट और नई रीपेंटिंग जैसे कई अहम अपग्रेड किए जाएंगे।

इसी के साथ कुछ ही समय में दिल्ली मेट्रो नेटवर्क लंबाई के मामले में दुनिया के टॉप-5 शहरों में शामिल हो जाएगी। मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों के सामान की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सभी बैगेज एक्सरे मशीनों पर कैमरे लगाने का काम भी नए साल में पूरा हो जाएगा।

Point of View

जो न केवल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाता है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी करता है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली मेट्रो की शुरुआत कब हुई?
दिल्ली मेट्रो की शुरुआत 24 दिसंबर 2002 को हुई थी।
दिल्ली मेट्रो कितनी बिजली खुद बनाती है?
दिल्ली मेट्रो अपने कुल बिजली उपयोग का लगभग 40 प्रतिशत पुनः उत्पन्न करती है।
दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन में कितने कोच थे?
दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन में चार कोच थे।
दिल्ली मेट्रो के लिए कौन सा तकनीकी अपग्रेड किया जा रहा है?
दिल्ली मेट्रो में आईपी आधारित सीसीटीवी, एलसीडी डायनामिक रूट मैप और अन्य तकनीकी अपग्रेड किए जा रहे हैं।
दिल्ली मेट्रो के कितने यात्रियों ने यात्रा की है?
दिल्ली मेट्रो ने अब तक 60 मिलियन से अधिक यात्रियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान की है।
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