क्या दिल्ली पुलिस ने 2002 के सरिता विहार डबल मर्डर केस को सुलझा लिया?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली पुलिस ने 2002 के डबल मर्डर केस को सुलझाया।
- दो भगोड़ों को गिरफ्तार किया गया है।
- एक आरोपी 23 साल से फरार था।
- दूसरा आरोपी 18 साल पहले पैरोल पर भाग गया था।
- गिरफ्तारी ने कानून की ताकत को दर्शाया है।
नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए दशकों पुराने डबल मर्डर केस को सुलझाते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शुक्रवार को जानकारी दी कि ये दोनों भगोड़े 2002 में सरिता विहार में एक महिला और उसकी दो साल की बेटी की बर्बर हत्या के बाद से भागे हुए थे।
दोनों आरोपियों को अंततः सजा मिल गई है। इस मामले में एक आरोपी 23 साल से फरार था जबकि दूसरा 18 साल पहले पैरोल से भाग निकला था।
गिरफ्तार व्यक्तियों की पहचान बिहार के शिवहर जिले के अमलेश कुमार और उसके साथ के आरोपी सुशील कुमार के रूप में हुई है। सुशील को पहले ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में परिवर्तित किया।
अमलेश, जिसने 28 जनवरी 2002 को हत्याओं के बाद से गायब हो गया था, दो दशकों से कानून की पकड़ से बाहर था।
अमलेश को गुजरात के जामनगर में पकड़ा गया, जहां वह नकली पहचान के साथ श्रमिक के रूप में काम कर रहा था। क्राइम ब्रांच की टीम ने तकनीकी विश्लेषण और ग्राउंड इंटेलिजेंस के माध्यम से उसे ट्रैक किया।
पुलिस ने अपने प्रेस नोट में कहा कि उसका पकड़ा जाना एक मजबूत संदेश है कि कानून के लंबे हाथ अंततः हर अपराधी तक पहुंचते हैं, चाहे वे कितने भी छिपे हुए क्यों न हों।
दूसरे आरोपी सुशील कुमार को, जिसे हत्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था और 2007 में पैरोल से भाग गया था, भारत-नेपाल सीमा के पास लालगढ़ गांव से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कहा कि वह पिछले कुछ वर्षों में कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में घूमता रहा और पकड़ से बचने के लिए बार-बार स्थान बदलता रहा।
इस हत्या का मामला जनवरी 2002 का है जब शिकायतकर्ता अनिल कुमार मदनपुर खादर में अपने घर लौटे और देखा कि घर में तोड़फोड़ हुई थी। उनकी 22 साल की पत्नी अनीता और उनकी दो साल की बेटी मेघा की लाशें किचन में पड़ी थीं, जिन पर चाकू के कई घाव थे।