क्या दिल्ली में फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़ हुआ? जानें पूरी कहानी

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क्या दिल्ली में फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़ हुआ? जानें पूरी कहानी

सारांश

दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसने 2.5 करोड़ रुपये की लूट की थी। तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें एक एनजीओ की सचिव भी शामिल है। जानिए इस दिलचस्प घटना के पीछे की पूरी कहानी और कैसे हुआ गिरोह का पर्दाफाश।

Key Takeaways

  • दिल्ली पुलिस ने फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़ किया।
  • गिरोह ने 2.5 करोड़ रुपये की लूट की थी।
  • पुलिस ने 1.25 करोड़ की नकदी बरामद की।
  • आरोपियों में एनजीओ के सदस्य शामिल हैं।
  • पुलिस ने तकनीकी निगरानी का उपयोग किया।

नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बनकर लोगों को लूटने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को पकड़कर पुलिस ने उनसे 1.25 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक एनजीओ 'क्राइम ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन' की सचिव, एक सदस्य और एक निदेशक शामिल हैं।

20 अगस्त को गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी मनप्रीत सिंह ने विवेक विहार थाने में लूटपाट की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि वह वित्त, प्रॉपर्टी डीलिंग, कमीशन और निर्माण के व्यवसाय से जुड़े हैं और पिछले 6-7 महीनों में अपने कारोबार से 2.5 करोड़ रुपए कमाए थे, जो विवेक विहार स्थित किराए के मकान में रखे गए थे।

19 अगस्त को उन्होंने अपने दोस्त रविशंकर को 1.10 करोड़ रुपये नकद अपने गाजियाबाद स्थित घर लाने के लिए कहा। जैसे ही रविशंकर पैसे लेकर बाहर निकले, चार अज्ञात व्यक्तियों (जिनमें एक महिला भी शामिल थी) ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए उन्हें रोका। उन्होंने वॉकी-टॉकी और 'ब्यूरो' लिखे पहचान पत्र दिखाकर रविशंकर को धमकाया और जबरन पैसे से भरा बैग छीन लिया। इसके बाद वे मनप्रीत के घर में घुसकर वहां मौजूद कर्मचारी दीपक माहेश्वरी के साथ मारपीट कर शेष रकम भी लूट ली। कुल मिलाकर गिरोह ने करीब 2.5 करोड़ रुपए लेकर फरार हो गया।

दिल्ली पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम का गठन किया। जांच के दौरान 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की गई और तकनीकी निगरानी के माध्यम से दो अर्टिगा कारों की पहचान की गई, जिनका उपयोग अपराध के समय किया गया था। गुप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर टीम ने फरीदाबाद से कारों के मालिक और चालकों का पता लगाया। इसके बाद आरोपियों की धरपकड़ शुरू हुई।

पुलिस ने पहले पापोरी बरुआ (उम्र 30, असम निवासी) और दीपक (उम्र 32, तुगलकाबाद निवासी) को गिरफ्तार किया।

पुलिस के अनुसार, लूटपाट के लिए कार को साकेत मेट्रो स्टेशन के पास स्थित एक एनजीओ ने किराए पर लिया था। इसके बाद, पुलिस टीम साकेत मेट्रो स्टेशन के पास एनजीओ के कार्यालय में पहुंची, जिसका नाम अपराध जांच ब्यूरो था। यहां से पापोरी बरुआ और दीपक नाम के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। 30 वर्षीय पापोरी बरुआ असम का निवासी है और 32 वर्षीय दीपक दिल्ली के तुगलकाबाद का निवासी है। पुलिस ने पापोरी बरुआ के पास से 1.08 करोड़ रुपए, जबकि दीपक के पास से 17.50 लाख रुपए नकद बरामद किए।

दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस एनजीओ के निदेशक तक पहुंच गई। 62 वर्षीय राम सिंह मीणा एनजीओ के निदेशक हैं। अन्य आरोपी पापोरी बरुआ एनजीओ की सचिव हैं और दीपक उस एनजीओ का सदस्य है। पूछताछ में पता चला है कि कुल 4 महिलाओं और 4-5 व्यक्तियों ने मिलकर यह अपराध किया। फिलहाल, पुलिस ने अन्य आरोपियों की तलाश तेज कर दी है।

Point of View

हम हमेशा समाज की सुरक्षा और कानून का पालन करने के पक्ष में हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई सराहनीय है, जो हमें बताती है कि कानून के हाथ लंबे हैं और कोई भी अपराधी बच नहीं सकता। हम नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह देते हैं और ऐसे मामलों में तत्काल पुलिस से संपर्क करने की अपील करते हैं।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली में फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़ कब हुआ?
22 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया।
गिरोह ने कितने पैसे की लूट की थी?
गिरोह ने करीब 2.5 करोड़ रुपये की लूट की थी।
गिरोह के कितने सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं?
इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपियों में कौन-कौन शामिल हैं?
आरोपियों में एक एनजीओ की सचिव, एक सदस्य और एक निदेशक शामिल हैं।
पुलिस ने लूट के मामले की जांच कैसे की?
पुलिस ने 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की और तकनीकी निगरानी का सहारा लिया।
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