क्या वर्क-फ्रॉम-होम जॉब का लालच देकर 17.5 लाख का ठगी करना संभव है?

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क्या वर्क-फ्रॉम-होम जॉब का लालच देकर 17.5 लाख का ठगी करना संभव है?

सारांश

दिल्ली पुलिस ने वर्क-फ्रॉम-होम जॉब घोटाले का खुलासा करते हुए चार ठगों को गिरफ्तार किया है। इन ठगों ने लोगों को झूठे ऑनलाइन जॉब के लालच में फंसाया और ठगी की राशि को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर बैंकों को धोखा दिया। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • वर्क-फ्रॉम-होम जॉब में सावधानी बरतें।
  • ऑनलाइन ठगों से बचें।
  • धोखाधड़ी की रिपोर्ट करें।
  • साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें।
  • किसी भी निवेश से पहले अच्छी तरह सोचें।

नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट साइबर थाना टीम ने वर्क-फ्रॉम-होम जॉब घोटाले का खुलासा करते हुए चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इन ठगों ने टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों को धोखे से ऑनलाइन जॉब का लालच देकर ठगा और ठगी के पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर बैंकों और पुलिस को गुमराह किया। गिरफ्तार आरोपियों के पास से चार मोबाइल फोन और चार सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं।

इस धोखाधड़ी में एक शिकायतकर्ता से 17.49 लाख रुपये की ठगी की गई। 27 मई 2025 को वसंत कुंज के एक निवासी ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई।

शिकायतकर्ता ने बताया कि 23 मई 2025 को एक टेलीग्राम आईडी के माध्यम से उनसे संपर्क किया गया और वेबसाइट समीक्षा करने के लिए 50 रुपये प्रति समीक्षा का लालच दिया गया। कुछ छोटे कार्यों के बाद, ठगों ने उन्हें बिटकॉइन की खरीद-बिक्री जैसे प्री-पेड कार्य करने को कहा और स्क्रीनशॉट भेजने को कहा। शुरुआत में शिकायतकर्ता ने छोटी राशि निवेश की, लेकिन बाद में ठगों ने विभिन्न तरीकों से और पैसे जमा करने का दबाव बनाया, यह कहकर कि इससे उनकी कथित कमाई निकाली जा सकेगी। इस प्रकार शिकायतकर्ता से कुल 17.49 लाख रुपये ठग लिए गए।

शिकायत के बाद साइबर थाने में एफआईआर नंबर 40/25 दर्ज की गई और जांच शुरू की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसमें सब-इंस्पेक्टर ओपेंद्र, डब्ल्यू/एसआई प्रियंका, एचसी अशोक, जयप्रकाश, बाबूलाल और सीटी जीतराम शामिल थे। इसकी निगरानी एसीपी ऑपरेशंस विजय कुमार ने की।

टीम ने पैसे के लेन-देन और तकनीकी सुरागों के आधार पर जांच की। जांच में पता चला कि ठगी की राशि में से 5 लाख रुपये शिकायतकर्ता के खाते से कोटक महिंद्रा बैंक के एक खाते में ट्रांसफर हुए, जो अंकुर मिश्रा के नाम पर था। सीसीटीवी फुटेज में अंकुर मिश्रा दो अन्य आरोपियों के साथ चेक से पैसे निकालते हुए दिखा।

एक अन्य खाते की जांच से पता चला कि यह आगरा से संचालित था, लेकिन खाताधारक मध्य प्रदेश का था। तकनीकी विश्लेषण के बाद पता चला कि यह गिरोह लखनऊ, शिवपुरी और आगरा से संचालित था। इसके बाद लखनऊ, भोपाल, शिवपुरी और आगरा में छापेमारी कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार आरोपियों में सियापुरा, यूपी के अंकुर मिश्रा (22), राजगढ़, एमपी के क्रतार्थ (21), भोपाल, एमपी के विश्वास शर्मा (32), शिवपुरी, एमपी के केतन मिश्रा (18) का नाम शामिल है। साइबर ठगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4)/61(2)/3(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।

Point of View

यह घटना हमें यह सिखाती है कि ऑनलाइन रोजगार के अवसरों के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है। हमें इन धोखाधड़ी के मामलों की गंभीरता को समझना चाहिए और ऐसे ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

वर्क-फ्रॉम-होम जॉब घोटाले का क्या कारण था?
यह घोटाला लोगों को झूठे ऑनलाइन जॉब के लालच में फंसाने के कारण हुआ।
दिल्ली पुलिस ने कितने ठगों को गिरफ्तार किया?
दिल्ली पुलिस ने चार ठगों को गिरफ्तार किया है।
ठगी की राशि कितनी थी?
ठगी की राशि 17.49 लाख रुपये थी।
क्या ठगों ने पैसे को कैसे छिपाया?
ठगों ने ठगी के पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर बैंकों को धोखा दिया।
इस मामले में आगे की जांच कब तक चलेगी?
इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है।