क्या दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में भव्य 'विश्वशांति महायज्ञ' का आयोजन हुआ?

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क्या दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में भव्य 'विश्वशांति महायज्ञ' का आयोजन हुआ?

सारांश

दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में 'विश्वशांति महायज्ञ' का आयोजन किया गया। इस भव्य समारोह में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और वैश्विक शांति के लिए प्रार्थना की। संतों ने वैदिक परंपरा के अनुसार यज्ञ किया, जिससे सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ।

Key Takeaways

  • विश्वशांति महायज्ञ में वैदिक परंपरा का पालन किया गया।
  • यज्ञ ने आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान किया।
  • सभी ने एकता और सद्भाव का संकल्प लिया।
  • युवाओं ने भी इस यज्ञ में बड़ी संख्या में भाग लिया।
  • यह यज्ञ गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए प्रेरणा देने वाला था।

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में दशहरा का पावन पर्व 'विश्वशांति महायज्ञ' के साथ भव्यता से मनाया गया, जिसमें वैश्विक शांति और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए वैदिक परंपरा के अनुसार यज्ञ अनुष्ठान संपन्न हुए।

इस आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उत्साह और भक्ति के साथ भाग लिया। यह महायज्ञ सूर्योदय के समय सुबह 6 बजे शुरू हुआ और 9 बजे तक जारी रहा।

संतों ने पवित्र वैदिक मंत्रों के पाठ के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान किया। इस समारोह में 108 यज्ञ कुंडों (यज्ञ की वेदी) को शामिल किया गया था।

इस अवसर पर दिल्ली अक्षरधाम मंदिर के मुख्य प्रभारी संत पूज्य मुनिवत्सलदास स्वामी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, "परम पूज्य महंतस्वामी महाराज की दिव्य प्रेरणा और मार्गदर्शन में यह यज्ञ विश्व में शांति और सद्भावना के लिए आयोजित किया गया।"

उन्होंने कहा, "इस यज्ञ में विशेष प्रार्थनाएं की गईं कि प्रत्येक परिवार एकजुट रहे, मजबूत बने और आध्यात्मिक मूल्यों में रचा-बसा रहे। आइए, हम इस पवित्र यज्ञ से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में पारिवारिक एकता और आध्यात्मिकता को हृदय से आत्मसात करें।"

इस यज्ञ में युवा लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। दर्शनार्थी ट्विंकल ने बताया कि विश्वशांति महायज्ञ के इस शुभ अवसर पर श्रद्धालु भक्ति और तप के आनंद में सराबोर रहे। उन्होंने न केवल अपने लिए, बल्कि वैश्विक शांति, सद्भाव और प्रेम के लिए भी प्रार्थना की, साथ ही विजयादशमी पर्व के सच्चे अर्थ पर आत्म-चिंतन का संदेश भी आत्मसात किया।

इस यज्ञ का मर्म गीता के अनुसार, "परस्पर पोषण के साथ परम कल्याण को प्राप्त करना था।"

भक्तों ने अपने जीवन में नकारात्मकता, अहंकार या घृणा को दूर करने का प्रण लिया। अक्षरधाम का पूरा वातावरण एक प्रबल आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत था, जिसने सभी को आनंद और संतोष की भावना से भर दिया।

Point of View

बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया। यह आयोजन यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता और मानवता का एक गहरा संबंध है। ऐसे आयोजनों से समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा मिलता है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

विश्वशांति महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देना था।
इस यज्ञ में कितने यज्ञ कुंड शामिल थे?
इस यज्ञ में 108 यज्ञ कुंड शामिल थे।
इस समारोह में कितने श्रद्धालुओं ने भाग लिया?
इस समारोह में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
यज्ञ का शुभारंभ कब हुआ?
यज्ञ का शुभारंभ सुबह 6 बजे हुआ।
इस यज्ञ में किन बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया?
इस यज्ञ में पारिवारिक एकता और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।