क्या पंडित छन्नूलाल मिश्र का संगीत वास्तव में ईश्वर से हमें जोड़ता था? : डॉ. सोमा घोष

सारांश
Key Takeaways
- पंडित छन्नूलाल मिश्र का संगीत ईश्वर से जोड़ने वाला था।
- उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
- उनकी गायिकी में भक्ति और सूफियाना रंग का समन्वय था।
- अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज भी उनके प्रशंसक थे।
- उनका जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
वाराणसी, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन गुरुवार को हुआ। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनके पैतृक गाँव में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की बड़ी संख्या उमड़ पड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य राजनेताओं ने पद्म विभूषण छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। गायिका डॉ. सोमा घोष ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका संगीत ईश्वर से जोड़ने वाला था, और उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
डॉ. सोमा घोष ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का जाना संगीत जगत के लिए एक अमूल्य क्षति है। बनारस सदियों से आध्यात्मिक और संगीत साधकों की भूमि रही है, जहाँ कबीर चौरा से लेकर पंडित किशन महाराज और पंडित छन्नूलाल जैसे असाधारण कलाकारों ने अपनी साधना से धरोहर रची। पंडित जी ने अपने संगीत में भक्ति और सूफियाना रंग का ऐसा समन्वय किया, जो सीधे ईश्वर और विशेष रूप से शिव से जोड़ देता था।
उन्होंने कहा कि नवरात्रि की पावन सुबह उनका जाना मानो उनकी साधना का पूर्ण विराम था। उनकी गायिकी में लोक और शास्त्रीय दोनों का अद्वितीय संगम था। अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज भी उनके संगीत के प्रशंसक थे। प्रकाश झा की फिल्म समेत अनेक मंचों पर उन्होंने भारतीय संस्कृति और संगीत की गरिमा को जीवित रखा।
इससे पहले गायक की बेटी नम्रता ने मीडिया से कहा कि काशी उनकी आत्मा में बसी हुई थी, उनका जाना संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं मां विंध्यवासिनी से प्रार्थना करती हूं कि मेरे पिता को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनका आशीर्वाद हम पर बना रहे। मेरे पिता सभी से प्रेम करते थे। मेरे बड़े भाई दिल्ली से आ रहे हैं। उनके पहुंचते ही हम मणिकर्णिका घाट पर पिताजी का अंतिम संस्कार करेंगे।