क्या देसी घी भारत का असली सुपरफूड है, जो स्वाद और सेहत दोनों का ख्याल रखता है?
सारांश
Key Takeaways
- घी एक सम्पूर्ण औषधि है।
- यह पाचन में सुधार करता है।
- यह मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है।
- घी हड्डियों और जोड़ों के लिए लाभकारी है।
- सर्दियों में यह गर्मी प्रदान करता है।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देसी घी केवल खाने का स्वाद बढ़ाने वाला खाद्य पदार्थ नहीं है, यह वास्तव में भारत का प्राचीन और असली सुपरफूड है। यहाँ घी को शक्ति, ओज और दीर्घकालिक स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। आज के विज्ञान ने भी साबित किया है कि देसी गाय का घी विश्व के सबसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों में से एक है।
इसमें उपस्थित सीएलए, ब्यूट्रेट, ओमेगा-3, विटामिन ए, डी, ई, के2 और अनेक प्रकार के फैटी एसिड इसे एक सम्पूर्ण औषधि में बदल देते हैं। आयुर्वेद में इसे योगवाही कहा गया है, जो दूसरी औषधियों की क्षमता को भी बढ़ाता है।
घी की एक विशेषता यह है कि यह पाचन को मजबूत करता है। इसमें मौजूद ब्यूट्रिक एसिड आंतों को ठीक करता है, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और एसिडिटी को कम करता है तथा अग्नि को बढ़ाता है। मस्तिष्क के लिए, घी किसी अमृत से कम नहीं है। यह मस्तिष्क को स्निग्धता प्रदान करता है, याददाश्त को बेहतर बनाता है और तनाव को कम करने में सहायक है। महिलाओं में हार्मोन बैलेंस, पीसीओडी, थायराइड और पीरियड से संबंधित समस्याओं में भी घी का प्रभाव लाभकारी होता है।
हड्डियों और जोड़ों के लिए घी अत्यंत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें विद्यमान विटामिन के2 कैल्शियम को सही स्थान पर हड्डियों में जमा करता है। जॉइंट्स में स्नेहन बढ़ता है और दर्द कम होता है। सर्दियों में घी शरीर को गर्मी प्रदान करता है, वायरल इंफेक्शंस से बचाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
आयुर्वेद में घी को रसायन, मेध्य (मस्तिष्क के लिए टॉनिक) और आयु बढ़ाने वाला बताया गया है। यह वात-पित्त-कफ तीनों दोषों को संतुलित करता है और शरीर की हर धातु को पोषण देता है। चरक संहिता में घी को हर ऋतु में सेवन योग्य सर्वश्रेष्ठ स्निग्ध कहा गया है।
घी के कई घरेलू उपयोग आज भी लोकप्रिय हैं, जैसे सर्दी-खांसी में अदरक वाला घी, त्वचा के लिए हल्दी-घी का लेप, कब्ज में रात को घी वाला गुनगुना दूध, बालों के झड़ने में घी की मालिश और दिल की सेहत के लिए लहसुन के साथ घी का सेवन। बच्चों को थोड़ी मात्रा में शहद के साथ घी दिया जाता है, ताकि पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सके। आंखों के सूखेपन में त्रिफला घी, एसिडिटी में घी का सेवन और नस्य के रूप में घी की १-२ बूंदें भी पारंपरिक उपायों में शामिल हैं।