क्या धनखड़ ने अहम पदों पर रहते हुए देश सेवा में सराहनीय योगदान दिया?

सारांश
Key Takeaways
- धनखड़ का इस्तीफा एक व्यक्तिगत निर्णय है।
- स्वास्थ्य के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
- ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा महत्वपूर्ण है।
- न्यायपालिका में ईमानदारी अनिवार्य है।
- बिहार में चुनाव आयोग के मुद्दे कोर्ट में हैं।
मुंबई, २२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जगदीप धनखड़ द्वारा उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि धनखड़ ने महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश सेवा में सराहनीय योगदान दिया है।
कृष्णा हेगड़े ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का उल्लेख करते हुए यह कदम उठाया है। धनखड़ एक वरिष्ठ वकील, राज्यपाल और उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, और उनके योगदान को सराहा गया है। संसद में भी उनके कार्यकाल को उत्कृष्ट माना गया है। हम उनके स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनके निर्णय का आदर करते हैं।
मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार की तैयारी पर हेगड़े ने कहा कि संसद में इस पर १६ घंटे की बहस कराना मोदी सरकार का सराहनीय कदम है। इससे विपक्ष का असली चेहरा सामने आएगा। ऑपरेशन सिंदूर से पूर्व, दौरान और बाद में विपक्ष ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए हमारी सेना पर सवाल उठाए, जो कि देश के लिए शर्मनाक है। जब पूरा देश प्रधानमंत्री के साथ था, तब कांग्रेस पाकिस्तान के साथ खड़ी थी। अब बहस में साफ हो जाएगा कि विपक्ष किसके पक्ष में है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर जले नोटों के बंडल मिलने के मामले में हेगड़े ने कहा कि इससे पहले भी कई बार जजों के घर से बड़ी मात्रा में नकदी और संपत्ति बरामद होने की घटनाएं हुई हैं। न्यायपालिका का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सार्वजनिक जीवन में कार्यरत व्यक्तियों के लिए ईमानदारी और सच्चाई अनिवार्य है। यदि किसी जज के आवास पर अवैध संपत्ति पाई जाती है और वह दोषी ठहरता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे मामलों में बर्खास्तगी या अयोग्यता की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसे कृत्य समाज के लिए घातक हैं।
बिहार में एसआईआर मामले में शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि विशेष पुनरीक्षण में अधिकांश फॉर्म जमा हो चुके हैं और १९९० तक के वोटर्स के नाम भी शामिल किए गए हैं। लेकिन, कई व्यक्तियों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज हैं, जो आमतौर पर वोटिंग में मान्य होते हैं। अब चुनाव आयोग ने आधार और राशन कार्ड को अपात्र माना है, जिससे मामला कोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट ने २१ जुलाई तक सभी दस्तावेज चुनाव आयोग से मांगे हैं और २८ जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। इसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी।