क्या धनतेरस पर मां अन्नपूर्णा के मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी गई?

Click to start listening
क्या धनतेरस पर मां अन्नपूर्णा के मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी गई?

सारांश

धनतेरस पर वाराणसी का अन्नपूर्णा मंदिर भक्तों से भर गया है। मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी हैं, जो इस पवित्र दिन की महत्ता को दर्शाती हैं। भक्तों का मानना है कि यहां आने से अन्न की कमी नहीं होती।

Key Takeaways

  • धनतेरस पर भक्तों की लंबी कतारें अन्नपूर्णा मंदिर में देखने को मिलीं।
  • मंदिर की मान्यता है कि यहां से कोई भी भूखा नहीं जाता।
  • मां अन्नपूर्णा का स्वरूप और गहनों से सजावट भक्तों को आकर्षित करती है।
  • मंदिर का इतिहास 18वीं शताब्दी से जुड़ा है।
  • यहां मां पार्वती, मां काली और भगवान शिव की मूर्तियां भी हैं।

वाराणसी, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। धनतेरस के अवसर पर देशभर के मंदिरों में धूमधाम देखने को मिल रही है। विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है और भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगकर घंटों इंतजार कर रहे हैं।

ऐसा ही दृश्य काशी विश्वनाथ मंदिर के अन्नपूर्णा मंदिर में देखा गया, जहां धनतेरस पर भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचे। यहां भक्तों की लंबी कतार देखी गई, जो मां के दीदार के लिए उत्सुक थे।

काशी विश्वनाथ परिसर में मां अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर, जो प्राचीन मंदिरों में से एक है, इस अवसर पर मां अन्नपूर्णा सोने के गहनों से सजी नजर आईं। मां के दिव्य रूप को देखकर भक्तों ने जयकारे और हर हर महादेव का उद्घोष किया, जिससे पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। वाराणसी का यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि इसकी मान्यता भी अत्यधिक है। इसे 18वीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। मां अन्नपूर्णा, जिन्हें अन्न की देवी माना जाता है, मां पार्वती का रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर, काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है।

मंदिर की मान्यता है कि यहां से कोई भी भूखा नहीं लौटता और जो भक्त यहां आते हैं, उनके घरों में हमेशा अन्न की कमी नहीं होती। वाराणसी के अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास 18वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है और यह अन्न और पोषण की देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है। कहा जाता है कि जब तक भक्त भोजन नहीं कर लेते, तब तक मां स्वयं भोजन नहीं करतीं।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई थी, जिसके बाद मां पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया और मानवता को भूख से बचाया। मंदिर की मान्यता के अनुसार, पहले मां पार्वती भगवान शिव को भोजन परोसती हैं, और उसके बाद भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। यहां मां पार्वती के अलावा, मां काली और भगवान शिव की मूर्तियां भी हैं। भक्त दूर-दूर से सभी देवी-देवताओं के दर्शन के लिए आते हैं।

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। धनतेरस के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ इस बात की पुष्टि करती है कि धर्म और आस्था आज भी लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

धनतेरस पर अन्नपूर्णा मंदिर में कितने भक्त आए?
धनतेरस पर अन्नपूर्णा मंदिर में भक्तों की संख्या काफी अधिक रही, लंबी कतारें देखने को मिलीं।
मां अन्नपूर्णा की पूजा का क्या महत्व है?
मां अन्नपूर्णा को अन्न और पोषण की देवी माना जाता है, और यह मान्यता है कि यहां से कोई भूखा नहीं लौटता।
Nation Press