क्या धर्मेंद्र की निजता भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी?
सारांश
Key Takeaways
- धर्मेंद्र की निजता का उल्लंघन गंभीर मुद्दा है।
- आईएफएटीडीए ने मीडिया की नैतिकता पर सवाल उठाया है।
- पुलिस से कार्रवाई की मांग की गई है।
- फिल्म इंडस्ट्री की गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है।
- बीमारी के समय में प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए।
मुंबई, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (आईएफएटीडीए) ने अभिनेता धर्मेंद्र की बीमारी के समय पपराजी और मीडिया के अमानवीय व्यवहार की तीखी निंदा की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष और फिल्म निर्माता-निर्देशक अशोक पंडित ने पुलिस को औपचारिक शिकायत पत्र सौंपते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पत्र की एक प्रति साझा की, जिसमें लिखा है, "कुछ असत्यापित पपराजी और ऑनलाइन मीडिया संचालकों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराना चाहता हूं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के सबसे सम्मानित दिग्गजों में से एक, पद्म भूषण धर्मेंद्र जी की बीमारी से संबंधित हालिया कवरेज में शालीनता और नैतिकता की सभी सीमाओं को पार कर दिया। कुछ असामाजिक तत्वों ने धर्मेंद्र जी के घर में घुसकर उनकी निजता का उल्लंघन किया। बिना अनुमति के परिवार के सदस्यों के फोटो-वीडियो बनाए गए और सनसनी फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए गए।"
आईएफएटीडीए ने इसे पूरी तरह अमानवीय, अनैतिक और गैर-कानूनी बताया है। अशोक पंडित ने कहा, "हमारे सिनेमा के दिग्गज कोई वस्तु नहीं हैं, वे इंसान हैं। बीमारी और निजी संकट के समय भी उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए। यह व्यवहार न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत मिले निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है। यह भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आपराधिक अपराध है।"
पत्र में आगे उल्लेख किया गया है, "आईएफएटीडीए ने स्पष्ट किया कि इस तरह की हरकतें सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और मीडिया की विश्वसनीयता को भी कम करती हैं। एसोसिएशन ने पुलिस से अपील की है कि दोषियों की तुरंत पहचान की जाए, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।"
शिकायत में विशेष रूप से कहा गया कि फिल्मी हस्तियां चाहे जितनी बड़ी हों, उनके साथ भी इंसानों जैसा व्यवहार होना चाहिए। खासकर बीमारी या दुख की घड़ी में उनकी प्राइवेसी का सम्मान सबसे जरूरी है।