क्या धर्मगुरु बद्रे आलम मानसिक रूप से बीमार हैं? इलाज की जरूरत: डॉ. शाकिर अली

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क्या धर्मगुरु बद्रे आलम मानसिक रूप से बीमार हैं? इलाज की जरूरत: डॉ. शाकिर अली

सारांश

फर्रुखाबाद में डॉ. शाकिर अली ने बद्रे आलम के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। क्या उनकी मानसिक स्थिति ठीक है? जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति पसमांदा मुस्लिम समाज का दृष्टिकोण।

Key Takeaways

  • बद्रे आलम का बयान कट्टरपंथ की ओर इशारा करता है।
  • डॉ. शाकिर अली ने योग दिवस के महत्व पर जोर दिया।
  • पसमांदा मुस्लिम समाज पीएम मोदी के साथ है।
  • नमाज भी एक प्रकार का योग है।
  • समाज को एकजुट होकर योग करना चाहिए।

फर्रुखाबाद, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शाकिर अली मंसूरी ने शनिवार को फर्रुखाबाद में मुस्लिम धर्मगुरु बद्रे आलम पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने बद्रे आलम को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए कहा कि उन्हें इलाज की जरूरत है।

डॉ. शाकिर अली ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में धर्मगुरु बद्रे आलम के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने योग दिवस और सूर्य नमस्कार को मुसलमानों पर थोपे जाने का आरोप लगाया था।

उन्होंने कहा कि कोई भी मुस्लिम धर्मगुरु इस्लामिक मूवमेंट का ठेकेदार नहीं हो सकता है। जो लोग ऐसी बातें कर रहे हैं, वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। बद्रे आलम का बयान कट्टरपंथ और समाज को भ्रमित करने की दिशा में है। यह खुराफात है, जो समाज को बांटने वाली है।

डॉ. शाकिर अली ने कहा कि पीएम मोदी ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि नमाज बंद कर दीजिए। उन्होंने बस इतना कहा है कि आप जो योग कर रहे हैं, उसमें योग दिवस के आसनों को भी जोड़ लीजिए। इसमें कोई जाति या धर्म का सवाल नहीं है। योग दिवस एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, धर्म विशेष से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मुसलमान दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और वही नमाज अपने आप में एक तरह का योग है। जब हम खुद रोज योग करते हैं, तो योग दिवस का विरोध क्यों?

डॉ. शाकिर ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज प्रधानमंत्री मोदी के साथ है और समाज को आगे बढ़ाने के लिए हर कदम पर सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तान में रहते हैं और प्रधानमंत्री मोदी की बातों को सम्मान देते हैं। हम योग दिवस में शामिल होकर गंगा-जमुनी तहज़ीब को मज़बूत करते हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है।

डॉ. शाकिर ने आगे कहा कि मैं कोई अस्पताल नहीं बता सकता, लेकिन उन्हें खुद सोचने की जरूरत है। एक नमाज अपने आप में कसरत और योग है। अगर समाज एकजुट होकर सार्वजनिक स्थान पर योग करता है तो इसमें खराबी क्या है?

Point of View

यह घटना एक ऐसे विषय पर प्रकाश डालती है जहां धार्मिक और सामाजिक एकता की आवश्यकता है। हमें चाहिए कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और इस तरह के विवादों को सुलझाने के लिए संवाद का मार्ग अपनाएँ।
NationPress
21/06/2025

Frequently Asked Questions

बद्रे आलम का योग पर क्या बयान था?
बद्रे आलम ने योग दिवस और सूर्य नमस्कार को मुसलमानों पर थोपे जाने का आरोप लगाया था।
डॉ. शाकिर अली ने बद्रे आलम के बारे में क्या कहा?
डॉ. शाकिर अली ने बद्रे आलम को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए कहा कि उन्हें इलाज की जरूरत है।