क्या दीपावाली के बाद एनसीआर में प्रदूषण बढ़ रहा है? जींद, धारूहेड़ा और बहादुरगढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित!

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क्या दीपावाली के बाद एनसीआर में प्रदूषण बढ़ रहा है? जींद, धारूहेड़ा और बहादुरगढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित!

सारांश

क्या दीपावाली के बाद एनसीआर में प्रदूषण बढ़ रहा है? जींद, धारूहेड़ा और बहादुरगढ़ जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुँच गई है। जानिए इसके पीछे के कारण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव।

Key Takeaways

  • जींद और धारूहेड़ा सबसे प्रदूषित शहर हैं।
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर पहुँच गया है।
  • स्वास्थ्य पर प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • बच्चों और बुजुर्गों को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
  • दक्षिणी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम है।

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावाली के उत्सव के अगले दिन, जब पटाखों और त्यौहार की धुंध ने आसमान को ढक लिया, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने मंगलवार को उत्तरी भारत में हवा की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट की चिंता जताई।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुलेटिन के अनुसार, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के कई शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' और 'बहुत खराब' दर्ज किया गया है।

जींद 421 के एक्यूआई के साथ सबसे ऊपर रहा, उसके बाद धारूहेड़ा (412), नारनौल (390) और रोहतक (376) का स्थान रहा। अन्य प्रदूषित शहरों में बहादुरगढ़ (368), सिरसा (353), चरखी दादरी (353), गुरुग्राम (370) और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (351) शामिल हैं, जो सभी बहुत खराब श्रेणी में हैं।

आंकड़े दर्शाते हैं कि इन क्षेत्रों में कणीय पदार्थ पीएम2.5 प्रमुख प्रदूषक है, जिससे वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।

गाजियाबाद (324), नोएडा (320), मानेसर (320) और हापुड़ (314) में भी वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' पाई गई, जिससे संकेत मिलता है कि एनसीआर में जहरीली धुंध ने अपना असर दिखाया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी स्थितियों का सामना करने से श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित लोगों में।

दूसरी ओर, बेंगलुरु (97), चेन्नई (142) और हैदराबाद (116) जैसे दक्षिणी शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' से 'मध्यम' रही, जबकि मैसूर (41), गंगटोक (34) और शिलांग (17) जैसे तटीय और पूर्वोत्तर शहरों में 'अच्छी' स्थिति रही।

सुबह के समय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली के एक दिन बाद दिल्ली-एनसीआर में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'बहुत खराब' श्रेणी में रहा, जो 400 तक पहुंच गया।

दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई का स्तर चिंताजनक बना रहा। नरेला (354), नजफगढ़ (334), मुंडका (357), मंदिर मार्ग (325), मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम (358), लोधी रोड (334), जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (317), जहांगीरपुरी (404), आईटीओ (345), दिलशाद गार्डन (346), द्वारका सेक्टर 8 (333), मथुरा रोड (341), बवाना (418), और आनंद विहार (352) में एक्यूआई खतरनाक स्तर पर दर्ज किया गया।

Point of View

यह स्थिति प्रदूषण के बढ़ते स्तर की गंभीरता को दर्शाती है। हमें चाहिए कि स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं ताकि हम सभी को एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

एनसीआर में प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?
एनसीआर में प्रदूषण के मुख्य कारणों में उद्योगों से निकलने वाला धुंआ, वाहनों का बढ़ता संख्या और दीपावाली जैसे त्योहारों पर पटाखों का उपयोग शामिल है।
क्या प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है?
हां, प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।