क्या मां कामाक्षी घर-घर जाकर भक्तों को दर्शन देती हैं? दीपावली पर मनाई जाने वाली खास परंपरा

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क्या मां कामाक्षी घर-घर जाकर भक्तों को दर्शन देती हैं? दीपावली पर मनाई जाने वाली खास परंपरा

सारांश

इस दीपावली, जानिए कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर की अनूठी परंपरा के बारे में, जहां मां कामाक्षी घर-घर जाकर भक्तों को दर्शन देती हैं। क्यों यह परंपरा खास है, और इससे जुड़ी मान्यताएं क्या हैं? इस उत्सव में मां का आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगती है।

Key Takeaways

  • दीपावली पर मां कामाक्षी की अनूठी परंपरा का महत्व।
  • मंदिर में विशेष पूजा विधि और आभूषणों का महत्व।
  • भक्तों की आस्था और मां के प्रति श्रद्धा।
  • कांचीपुरम के मंदिर की विशेषताएं।
  • मां कामाक्षी का पवित्र रूप और उनकी आराधना।

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में विभिन्न मंदिरों की अपनी विशेष मान्यता, परंपराएं और पौराणिक कथाएं हैं। प्रत्येक मंदिर में पूजा की विधि और परंपराएं भिन्न होती हैं।

तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित श्री कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर में दीपावली के दिन एक अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है, जहां हर कोई मां कामाक्षी के दर्शन नहीं कर पाता।

दीपावली के अवसर पर, इस मंदिर की विशिष्टता निहारने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और मां को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत के साथ मां की आराधना की जाती है।

मान्यता है कि जिन भक्तों के माता-पिता की मृत्यु हो जाती है, वे मंदिर में दर्शन के लिए नहीं आ सकते। मृत्यु के एक वर्ष बाद ही दर्शन करने की अनुमति होती है। इसलिए, मां कामाक्षी स्वयं घर-घर जाकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

दीपावली के दिन मां कामाक्षी की पालकी यात्रा निकाली जाती है। भक्त अपने घरों से बाहर आकर मां से आशीर्वाद लेते हैं।

श्री कांची कामाक्षी अम्मन शक्तिपीठ में एक ही प्रतिमा में दो माताएं वास करती हैं। मां कामाक्षी की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का निवास होता है। भक्त मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मां के चरणों में सिंदूर अर्पित करते हैं।

कहा जाता है कि मां लक्ष्मी ने मां कामाक्षी की पूजा की थी। भगवान विष्णु के श्राप के कारण मां लक्ष्मी को कुरूप होने का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद मां कामाक्षी ने उन्हें इस श्राप से मुक्त किया।

भक्त मां कामाक्षी को उनके चरणों से लेकर माथे तक सिंदूर अर्पित करते हैं। श्री कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर में मां कामाक्षी आठ साल की बालिका के रूप में विराजमान हैं, जहां केवल विवाहित पंडित ही उनकी पूजा कर सकते हैं। इसे मां का अब तक का सबसे पवित्र रूप माना जाता है।

Point of View

बल्कि समाज में एकजुटता का भी संदेश देती है। सभी भक्त अपनी आस्था के साथ इस अवसर का लाभ उठाते हैं।
NationPress
14/10/2025

Frequently Asked Questions

दीपावली पर मां कामाक्षी के दर्शन के लिए कौन आ सकता है?
मां कामाक्षी के दर्शन के लिए वे भक्त आ सकते हैं जिनके माता-पिता की मृत्यु नहीं हुई है।
मंदिर में पूजा का विशेष तरीका क्या है?
मंदिर में पूजा के दौरान मां को सिंदूर अर्पित किया जाता है और दक्षिण भारतीय संगीत के साथ उनकी आराधना की जाती है।
कौन से आभूषण मां को अर्पित किए जाते हैं?
मां को स्वर्ण गहनों से सजाया जाता है।
क्या मां कामाक्षी की प्रतिमा में विशेषता है?
मां कामाक्षी की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का निवास होता है।
दीपावली पर मां की पालकी यात्रा क्यों निकाली जाती है?
यह यात्रा भक्तों को मां के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आमंत्रित करती है।