क्या डॉ. अंबेडकर के धर्म परिवर्तन की 90वीं वर्षगांठ पर सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का समय आ गया है?

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क्या डॉ. अंबेडकर के धर्म परिवर्तन की 90वीं वर्षगांठ पर सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का समय आ गया है?

सारांश

डॉ. अंबेडकर के धर्म परिवर्तन की 90वीं वर्षगांठ पर लाखों लोगों ने एकत्र होकर सामाजिक समानता और न्याय की मांग की। क्या यह समय है कि हम उनके विचारों को अपनाकर सामाजिक भेदभाव के खिलाफ एकजुट हों?

Key Takeaways

  • डॉ. अंबेडकर का धर्म परिवर्तन भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
  • मुक्तिभूमि का महत्व सामाजिक समानता की लड़ाई में है।
  • छगन भुजबल ने अंबेडकर के विचारों को याद किया।
  • कार्यक्रम में लाखों लोगों ने भाग लिया।
  • युवाओं को अंबेडकर के सिद्धांतों को समझने की आवश्यकता है।

नासिक, १३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला में स्थित मुक्तिभूमि पर सोमवार को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा धर्म परिवर्तन की ऐतिहासिक घोषणा की ९०वीं वर्षगांठ को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर देश भर से लाखों लोग एकत्र हुए।

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने मुक्तिभूमि जाकर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके विचारों को याद किया।

छगन भुजबल ने बताया कि डॉ. अंबेडकर के जीवन में तीन स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं: नागपुर की दीक्षाभूमि, मुंबई की चैत्यभूमि और येवला की मुक्तिभूमि। इनमें से मुक्तिभूमि वह पहला स्थान है, जहाँ १९३५ में डॉ. अंबेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा की थी। यह घोषणा भारतीय समाज और इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने सामाजिक समानता और न्याय की लड़ाई को नया दिशा दी।

भुजबल ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम दलितों और वंचितों के लिए स्वतंत्रता और सम्मान का प्रतीक बन गया। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता, अंबेडकर के अनुयायी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। पूरा क्षेत्र 'जय भीम' के नारों से गूंज उठा।

भुजबल ने आगे कहा कि डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी सामाजिक समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिए प्रेरणा देते हैं। अंबेडकर का दर्शन समाज को जोड़ने और सभी को बराबरी का हक दिलाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

इस अवसर पर मुक्तिभूमि को भव्य तरीके से सजाया गया और कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प किया।

भुजबल ने युवाओं से अपील की कि वे अंबेडकर के सिद्धांतों को समझें और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएं। यह आयोजन न केवल अंबेडकर के ऐतिहासिक फैसले की याद दिलाता है, बल्कि उनके समतामूलक समाज के सपने को साकार करने की प्रेरणा भी देता है।

Point of View

बल्कि यह समाज में समानता और न्याय की आवश्यकता की ओर भी ध्यान खींचता है। आज, हमें उनके विचारों को समझकर और उन्हें अपने जीवन में अपनाकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
13/10/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. अंबेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा कब की थी?
डॉ. अंबेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा १९३५ में की थी।
मुक्तिभूमि कहाँ स्थित है?
मुक्तिभूमि महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला में स्थित है।
इस वर्षगांठ का आयोजन कब हुआ?
यह आयोजन १३ अक्टूबर २०२३ को हुआ।
इस आयोजन में कौन-कौन शामिल हुए?
इस आयोजन में सामाजिक कार्यकर्ता, अंबेडकर के अनुयायी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
डॉ. अंबेडकर के विचारों का क्या महत्व है?
डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी सामाजिक समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिए प्रेरणा देते हैं।