क्या प्रवर्तन निदेशालय ने 1600 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में एक्शन लिया है?

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क्या प्रवर्तन निदेशालय ने 1600 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में एक्शन लिया है?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने 1600 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई करते हुए 155 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं। क्या यह देश में मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है?

Key Takeaways

  • प्रवर्तन निदेशालय ने 155 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं।
  • धोखाधड़ी में 1600 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।
  • आरोपियों ने सेबी के नाम से अवैध कंपनियां बनाई थीं।
  • इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
  • जांच विभिन्न राज्यों में चल रही है।

कोलकाता, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कोलकाता जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने एलएफएस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड, उसकी संबंधित कंपनियों, फर्मों और सैयद जियाजुर रहमान सहित अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चल रही जांच के तहत 155 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 212 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया है।

ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों में पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के कई जिलों में स्थित भूमि, अपार्टमेंट, होटल, रिसॉर्ट और फैक्ट्री प्लॉट शामिल हैं। जांच के दौरान यह उजागर हुआ कि ये संपत्तियां निवेशकों से 1600 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी से जुटाई गई रकम से खरीदी गई थीं। निवेशकों को आरोपियों द्वारा उनके निवेश पर 2-3 प्रतिशत का गारंटीड मासिक रिटर्न देने का झूठा वादा किया गया था।

पश्चिम बंगाल पुलिस ने आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत एलएफएस ब्रोकिंग, सैयद जियाजुर रहमान और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसी एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच आरंभ की। इसके अलावा, गुजरात, ओडिशा और महाराष्ट्र राज्यों में भी सैयद जियाजुर रहमान और एलएफएस ग्रुप के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

ईडी की जांच में यह सामने आया कि सैयद जियाजुर रहमान, दिलीप कुमार मैती, मोहम्मद अनारुल इस्लाम और उनके सहयोगियों ने सेबी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में हेरफेर करके अवैध निवेश योजनाएं संचालित कीं। उन्होंने निवेशकों को 2-3 प्रतिशत का गारंटीड मासिक रिटर्न देने के नाम पर उनके फंड को इकट्ठा करने और दूसरी जगह भेजने के लिए कई कंपनियों का जाल बिछाया।

आरोपियों ने शेयर ब्रोकिंग और अन्य निवेश गतिविधियों के लिए सेबी में रजिस्टर्ड एलएफएस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर यह अवैध कारोबार चलाया। उन्होंने जानबूझकर एलएफएस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम जैसी ही कई अन्य फर्में बनाई। निवेशकों को यह विश्वास दिलाया गया कि वे सेबी में रजिस्टर्ड कंपनी में निवेश कर रहे हैं, जबकि असल में फंड एलएफएस ब्रोकिंग और पीएमएस सर्विसेज जैसी इसी तरह के नाम वाली फर्मों में भेजा जाता था।

इससे पहले, इस मामले में ईडी ने मुख्य आरोपी सैयद जियाजुर रहमान सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए लोग फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इसके अलावा, इस मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ कोलकाता की विशेष अदालत में एक अभियोग याचिका भी दायर की गई है।

Point of View

यह मामला देश में वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ऐसे मामलों में सख्त है और निवेशकों के हितों की रक्षा करना उसकी प्राथमिकता है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

ईडी ने कितनी संपत्तियां जब्त की हैं?
ईडी ने 155 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 212 अचल संपत्तियों को जब्त किया है।
यह धोखाधड़ी किस प्रकार की थी?
यह धोखाधड़ी निवेशकों से 2-3 प्रतिशत का गारंटीड मासिक रिटर्न देने के झूठे वादे पर आधारित थी।
क्या आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है?
हां, ईडी ने मुख्य आरोपी सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
इस मामले में ईडी की जांच कब शुरू हुई?
ईडी की जांच उस समय शुरू हुई जब पश्चिम बंगाल पुलिस ने आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया।
क्या इस मामले में अन्य राज्य भी शामिल हैं?
हां, गुजरात, ओडिशा और महाराष्ट्र में भी आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं।