क्या ईडी ने दिल्ली समेत कई राज्यों में वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपियों के खिलाफ रेड मारी?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने कई राज्यों में रेड मारी।
- आरोपियों ने धन शोधन के लिए फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग किया।
- धोखाधड़ी योजना के तहत करोड़ों रुपए की अनधिकृत राशि इकट्ठा की गई।
- तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए गए।
- आरोपी फरार हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बच रहे हैं।
रांची, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रांची क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अनुसार दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, वैशाली (बिहार) और देहरादून में कई स्थानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई मैक्सीजोन टच प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों, चंद्र भूषण सिंह और प्रियंका सिंह द्वारा किए गए व्यापक वित्तीय धोखाधड़ी के संदर्भ में की गई।
झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक के पुलिस अधिकारियों ने इस कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ जनता के साथ धोखाधड़ी के आरोप में शिकायतें दर्ज की थीं। इसके आधार पर ईडी ने जांच आरंभ की।
जांच में यह बात सामने आई कि आरोपियों ने एक धोखाधड़ी की मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) योजना चलाई, जिसमें आम जनता को उच्च मासिक रिटर्न और आकर्षक रेफरल लाभों का वादा किया गया। इस प्रक्रिया के जरिए उन्होंने कम से कम 21 बैंक खातों में 521 करोड़ रुपए से अधिक की अनधिकृत राशि इकट्ठा की, जिससे उन्हें भारी मात्रा में अपराध आय (पीओसी) हुई।
इसके अलावा आरोपियों ने सरकारी धन लेकर भागने की कोशिश की। पिछले तीन वर्षों से झारखंड, राजस्थान और असम पुलिस सहित विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बचते रहे हैं। जांच के दौरान यह भी पता चला कि उन्होंने कई संपत्तियों को बेनामी लेनदेन के माध्यम से प्राप्त किया और धन को नकद में बदलकर अवैध धन का शोधन किया। अपनी पहचान छुपाने के लिए वे 'दीपक सिंह' नाम के फर्जी पहचान पत्र का उपयोग कर रहे थे और बार-बार अपना ठिकाना बदलते रहे।
तलाशी के दौरान, ईडी ने कई महत्वपूर्ण सबूतों को बरामद किया है, जिसमें फर्जी पहचान पत्र, वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज, नकद लेनदेन की जानकारी देने वाली नोटबुक और डायरियां, सहयोगियों के विवरण, विभिन्न संस्थाओं की चेकबुक, लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसे डिजिटल साक्ष्य शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और समझौतों का भी पता चला है। ऐसे सबूत भी मिले हैं जो दर्शाते हैं कि आरोपी इसी प्रकार की धोखाधड़ी वाली योजनाएं पहले भी चला चुके थे।