क्या प्रशासन ईसाई समुदाय की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- ईसाई समुदाय के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- क्रिसमस का पर्व शांतिपूर्ण वातावरण में मनाया जाना चाहिए।
- प्रशासन को संवेदनशीलता से काम करना चाहिए।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के अध्यक्ष सैयद सय्यद सादतुल्लाह हुसैनी ने क्रिसमस से पहले देश के विभिन्न भागों में ईसाई समुदाय से जुड़ी कथित घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने प्रशासन से शांति, सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए समय पर उचित और प्रभावी कदम उठाने की अपील की है ताकि क्रिसमस का पर्व भयमुक्त और सम्मानजनक माहौल में मनाया जा सके।
सय्यद सादतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि जमाअत-ए-इस्लामी हिंद को ईसाई समुदाय के कुछ वर्गों पर हमलों, धमकियों और परेशानियों की खबरें चिंतित कर रही हैं। यदि ऐसे मामलों पर समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे डर और अविश्वास का माहौल बन सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का संविधान समानता, धर्म की स्वतंत्रता और आपसी सम्मान पर आधारित है। इन मूल्यों को कमजोर करने वाली किसी भी स्थिति पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ईसाई समुदाय के साथ एकजुटता के साथ खड़ी है।
जेआईएच अध्यक्ष ने बताया कि कई नागरिक समाज संगठनों ने कुछ क्षेत्रों में प्रार्थना सभाओं में बाधा, दफन से जुड़े विवाद और धर्मांतरण विरोधी कानूनों के तहत लगाए गए आरोपों जैसी घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया है। इन घटनाओं से कई ईसाई परिवारों में चिंता और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है। ऐसे सभी मामलों का समाधान केवल कानून के दायरे में और उचित प्रक्रिया के तहत ही किया जाना चाहिए।
सय्यद सादतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि धार्मिक त्योहारों के समय प्रशासन को अतिरिक्त संवेदनशीलता और सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि क्रिसमस समारोह शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हों और किसी भी तरह के डर या व्यवधान की स्थिति न बने। कानून का इस्तेमाल बिना किसी भेदभाव के होना चाहिए।
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता और समावेशी चरित्र में है। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का मानना है कि हर धार्मिक समुदाय के अधिकारों और गरिमा की रक्षा राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है। उन्होंने प्रशासन और नागरिकों से मिलकर शांति, आपसी सम्मान, और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की अपील की।