क्या फ्रेट कॉरिडोर के तहत सभी ट्रेनों की लाइव निगरानी संभव होगी?

सारांश
Key Takeaways
- लाइव निगरानी से सभी ट्रेनों की गतिविधियों पर नजर
- लॉजिस्टिक्स लागत में महत्वपूर्ण कमी
- पर्यावरण के लिए फायदेमंद
- गुजरात में मौजूद अधिकांश पोर्ट का लाभ
- सड़क परिवहन में कमी से डीजल की बचत
अहमदाबाद, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। डीएफसीसीआईएल ने अहमदाबाद में अपनी इकाई का पूर्ण संचालन आरंभ कर दिया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) की इस इकाई के सक्रिय होने से 1,500 किलोमीटर लंबे खंड पर चलने वाली सभी ट्रेनों की लाइव निगरानी की जा सकेगी। यह डीएफसीसीआईएल रेल मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
भारत की सबसे बड़ी रेलवे अवसंरचना परियोजना, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर आजादी के बाद से ही है।
अहमदाबाद के डीएफसीसीआईएल के मुख्य महाप्रबंधक मनीष अवस्थी ने इस जानकारी को साझा किया। उन्होंने बताया कि यह पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का संचालन नियंत्रण केंद्र है। यहां से हम 1,500 किलोमीटर लंबे खंड पर चलने वाली सभी ट्रेनों की लाइव निगरानी कर सकते हैं। विभिन्न कंटोन एसएनटी, इंजीनियरिंग, सुरक्षा और टैक्शन पर निगरानी की जाती है। समस्याओं का समाधान करने के बाद ही ट्रेन को आगे बढ़ाया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस काम में लगभग ढाई साल लगे। इसमें सिविल इंजीनियरिंग, दूरसंचार प्रणाली, सिग्नलिंग कार्य, विद्युत कार्य, और सॉफ्टवेयर विकास के विभिन्न घटकों के बीच समग्र इंटरफेसिंग शामिल थी। इन सभी तत्वों के विकास में समय लगा। इससे लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में महत्वपूर्ण लाभ हो रहा है। गुजरात में अधिकांश पोर्ट हैं।
उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर अब बंदरगाह जाने वाली ट्रेनों के लिए पहले के एक चक्कर के समय में डेढ़ से दो चक्कर लगाने की सुविधा प्रदान करता है। इसके परिणामस्वरूप यात्री लाइनों पर भीड़भाड़ में कमी, माल ढुलाई के लिए तेज टर्नअराउंड समय, और लॉजिस्टिक्स लागत में उल्लेखनीय कमी हो रही है।
यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है; इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। उदाहरण के लिए, पालनपुर से टीओटी (ट्रक ऑन ट्रेन) के तहत 10 घंटे में न्यू रेवाड़ी पहुंचाते हैं। सड़कों पर ट्रक कम चलने से डीजल की बचत होती है और प्रदूषण भी कम होता है।