क्या गढ़चिरौली में मलेरिया का कहर प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है?

सारांश
Key Takeaways
- गढ़चिरौली में मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- भामरागढ़ तहसील सबसे अधिक प्रभावित है।
- स्वास्थ्य विभाग ने आवश्यक दवाओं की व्यवस्था की है।
- मलेरिया एलिमिनेशन टास्क फोर्स बनाई गई है।
- उचित उपचार ही मलेरिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
गढ़चिरौली, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में मलेरिया के मामलों में एक बार फिर तेज़ी से वृद्धि देखने को मिल रही है। वर्तमान में, मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़कर 2,060 हो गई है।
जिले में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र भामरागढ़ तहसील है, जहां 60 प्रतिशत मलेरिया के मामले दर्ज किए गए हैं। मलेरिया के मामलों में निरंतर वृद्धि ने स्थानीय निवासियों में भय उत्पन्न कर दिया है। हालाँकि, स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया के खिलाफ आवश्यक दवाओं और चिकित्सा किटों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराई है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, जिला प्रशासन ने त्वरित उपाय किए हैं। आरोग्य विभाग, जिला परिषद गढ़चिरौली ने कहा, "चूंकि महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले गढ़चिरौली में पाए जाते हैं, इसलिए इस बीमारी के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है।"
इस समिति को मलेरिया एलिमिनेशन टास्क फोर्स कहा जाता है, जो हर तीन महीने में बैठक आयोजित करती है। इस बैठक में जिले की स्थिति और आवश्यक कदमों पर चर्चा की जाती है।
उन्होंने कहा, "गढ़चिरौली में मलेरिया के सबसे अधिक मामले पाए जा रहे हैं। यहाँ के जंगलों में मलेरिया के मच्छरों की अधिकता है।"
ज्ञात हो कि मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। यह संक्रमण गुर्दे या यकृत को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है और संक्रमित व्यक्ति के जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है। उचित उपचार ही इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।