क्या गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर पूजा से शारीरिक और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं?

Click to start listening
क्या गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर पूजा से शारीरिक और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं?

सारांश

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी विशेष तिथि है, जब भक्त भगवान गणेश की पूजा करके संकटों से मुक्ति पा सकते हैं। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके लाभ।

Key Takeaways

  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है।
  • इस दिन पूजा और व्रत रखने से संकटों का नाश होता है।
  • पति की लंबी उम्र और पारिवारिक खुशहाली के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं।
  • अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस दिन पूजा करती हैं।
  • गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है।

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि 8 नवंबर को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसके पश्चात चतुर्थी का आरंभ होगा। इस दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी है, जो भगवान गणेश को समर्पित है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा रात्रि 11 बजकर 14 मिनट तक वृषभ राशि में रहेंगे। इसके बाद वे मिथुन राशि में गोचर करेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा जबकि राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है, संकटों को समाप्त करने वाली। इसका उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है, जिसमें कहा गया है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख-शांति का निवास होता है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर पति की दीर्घ आयु और पारिवारिक खुशहाली के लिए नवविवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं।

अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन कर सकती हैं। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत से न केवल भौतिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि मानसिक तनाव और आर्थिक संकट भी समाप्त हो जाते हैं।

इस तिथि पर विधि-विधान से व्रत रखने के लिए ब्रह्म-मुहूर्त में उठें। नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर गणेशजी की प्रतिमा रखें और उन पर गंगाजल से छिड़काव करें।

इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दूर्वा, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें और उन्हें बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का दान ब्राह्मणों को करें और 5 भगवान के चरणों में रखकर बाकी प्रसाद के रूप में वितरित करें।

पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष और संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। "ऊं गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। शाम को गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है।

Point of View

जो भक्तों के लिए संकटों से मुक्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। यह तिथि न केवल पूजा-पाठ के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भी सुख और समृद्धि लाने का माध्यम है।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का क्या महत्व है?
यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है और इसे संकटों से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन किस प्रकार की पूजा की जानी चाहिए?
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए नित्य कर्म के बाद गणेशजी की पूजा करनी चाहिए।
क्या व्रत का पालन सभी कर सकते हैं?
हाँ, नवविवाहित महिलाएं और अविवाहित कन्याएं दोनों इस व्रत का पालन कर सकती हैं।