क्या वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से धार्मिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- गंगा का जलस्तर बढ़कर 65.04 मीटर हो गया है।
- 85 घाटों का आपसी संपर्क टूट गया है।
- धार्मिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं।
- प्रशासन ने सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
- श्रद्धालुओं का विश्वास अडिग है।
वाराणसी, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मां गंगा का जलस्तर वाराणसी में लगातार बढ़ता जा रहा है। गंगा का जलस्तर अब 65.04 मीटर तक पहुँच गया है, जिसमें हर घंटे औसतन 4 सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है। इससे शहर के 85 घाटों का आपसी संपर्क टूट चुका है। कई घाट और उनके किनारे बने मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं।
इस स्थिति ने स्थानीय जनजीवन और धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किया है। दशाश्वमेध और शीतला घाट पर इसका प्रभाव स्पष्ट है। घाटों की सीढ़ियों तक पानी पहुँचने के कारण श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा पर सीढ़ियों पर ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
ग्वालियर से आए पर्यटक हर्ष श्रीवास्तव ने बताया, “अस्सी घाट से पैदल घाटों तक जाना अब संभव नहीं है। स्नान के लिए भी पानी का स्तर बहुत गहरा हो गया है। गंगा का यह रौद्र रूप देखकर मायूसी भी है, लेकिन काशी के दर्शन का आनंद भी है।”
स्थानीय नाविक विक्की निषाद ने कहा, “पानी का बहाव बहुत तेज है। सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। नावें अब सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही चलेंगी। घाटों के किनारे बने मंदिर डूब रहे हैं।”
पुरोहित पंडित राजू शास्त्री ने चिंता जताते हुए कहा, “घाटों का संपर्क टूट गया है। मंदिर जलमग्न हैं। तीर्थयात्रियों को स्नान और पूजा में थोड़ी दिक्कत हो रही है। अगर जलस्तर और बढ़ा, तो परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।”
इस बीच, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें घाटों पर तैनात हैं। सुरक्षा के मद्देनजर नावों का संचालन रात में बंद कर दिया गया है। बढ़ते जलस्तर ने न केवल धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किया है, बल्कि स्थानीय लोगों का रोजमर्रा का जीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है।
प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने और घाटों पर अनावश्यक भीड़ न लगाने की अपील की है। गंगा के इस प्रचंड रूप ने वाराणसी की काशी विश्वनाथ यात्रा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है, लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास अभी भी अटल है। स्थिति पर नजर रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है।