क्या गरिमा का सम्मान करते हुए सांसद के पीछे खड़े रहे पीएम मोदी? अर्जुन राम मेघवाल ने सुनाई पूरी कहानी

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का सम्मानजनक व्यवहार सदन की गरिमा का प्रतीक है।
- सार्वजनिक जीवन में शिष्टाचार का पालन महत्वपूर्ण है।
- असली नेतृत्व दूसरों के प्रति सम्मान और धैर्य दिखाने में है।
- हमेशा दूसरों को प्राथमिकता देना एक सकारात्मक नेतृत्व का संकेत है।
- विनम्रता से प्रेरणा प्राप्त करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 17 सितंबर को जन्मदिन है। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और प्रह्लाद जोशी ने पीएम मोदी के कुछ पुराने अनुभव साझा किए। इस संदर्भ में उन्होंने वीडियो भी साझा किए हैं।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर 'मोदी स्टोरी' पेज के एक वीडियो को साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व अत्यंत विशाल है। हम उनके आचरण से हर दिन कुछ न कुछ सीखते हैं।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक जीवन में कुछ क्षण हमेशा के लिए अमिट छाप छोड़ देते हैं। मेरे लिए ऐसा ही एक क्षण तब था जब मैं वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ लोकसभा गया था। मुझे उनकी सहायता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जैसा कि मैं अक्सर महत्वपूर्ण सत्रों के दौरान करता हूं।
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जैसे ही हम सदन के प्रवेश द्वार पर पहुंचे, एक सांसद पहली पंक्ति में बोल रहे थे। लोकसभा के नियमों और शिष्टाचार के अनुसार, बोलने वाले सदस्य के सामने से गुजरना अपमानजनक माना जाता है। ये कोई लिखित नियम नहीं हैं, बल्कि परंपराएं हैं जो सदन की गरिमा को दर्शाती हैं। मैंने देखा कि प्रधानमंत्री मोदी बोलने वाले सदस्य के पीछे रुक गए। किसी ने उन्हें धीरे से सुझाव दिया कि वे बगल से चलकर बिना भाषण में बाधा डाले अंदर आ सकते हैं, जैसा कि कई लोग करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी वहीं खड़े रहे, चुपचाप और धैर्यपूर्वक सदस्य के भाषण पूरा करने का इंतजार करते रहे।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात ने गहराई से छुआ कि अपने भाषण में मग्न सांसद को जरा भी अंदाजा नहीं था कि देश के प्रधानमंत्री उनके पीछे चुपचाप खड़े उन्हें सम्मान दे रहे हैं। पीएम मोदी के व्यवहार में कोई बेचैनी, कोई परंपरा तोड़ने की कोशिश, कोई जल्दबाजी नहीं थी, बल्कि धैर्य और विनम्रता थी। मेरे लिए यह क्षण अविस्मरणीय था। देश के सर्वोच्च पद पर आसीन एक व्यक्ति ने शिष्टाचार के एक छोटे से नियम को तोड़ने के बजाय इंतजार करना चुना। यह औपचारिकता नहीं थी, यह उन मूल्यों की बात थी जिनके अनुसार वे जीते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उस दिन मुझे एहसास हुआ कि क्यों नरेंद्र मोदी हमें हर पल प्रेरित करते हैं, सिर्फ अपने शब्दों से नहीं, बल्कि अपने कार्यों में दिखाए गए अनुशासन और सम्मान से। यह घटना मेरे राजनीतिक सफर के सबसे गहरे सबक के रूप में मेरे साथ रही है, सच्चा नेतृत्व शक्ति के बारे में नहीं, बल्कि दूसरों के प्रति सम्मान के बारे में है, चाहे वे कोई भी हों।
वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक वीडियो शेयर कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर स्तर पर कर्मचारियों के प्रति निरंतर प्रदर्शित की गई विनम्रता से प्रेरित होकर हमने भी उनके अनुभवों को गहराई से महत्व देना सीखा है। उनकी अंतर्दृष्टि हमें नए और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो हमारे काम को समृद्ध बनाती है।