क्या गठबंधन का झालर शॉर्ट सर्किट के झटके में फंस चुका है? : नकवी
सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन का हालात खराब है।
- बिहार की जनता सख्त संदेश भेजने को तैयार है।
- विकास के नाम पर कोई वास्तविकता नहीं है।
- राजनीतिक सुधार की जरूरत है।
- मतदाता सूची का शुद्धिकरण जरूरी है।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के प्रमुख नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में महागठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका झालर शॉर्ट सर्किट के झटके में फंस चुका है। इसलिए, अब कुछ भी होने की संभावना नहीं है। बिहार की जनता उन्हें सबक सिखाने के लिए तैयार है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि महागठबंधन में फाइट जारी है। दूसरी ओर, ये लोग एक बार फिर से बिहार के मुसलमानों को वोटों का पंचिंग बैग बनाने की कोशिश कर रहे हैं। विकास के नाम पर वोट मांगने वाले वास्तव में विकास नहीं करते हैं। अब मुसलमानों को आगे बढ़कर इन्हें झटका देना चाहिए।
उन्होंने 'जननायक' विवाद पर कहा कि बिहार का असली जननायक गांव-गरीब, किसान और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाला आम आदमी है। बिहार का असली जननायक वह है, जो ऐतिहासिक हकीकत से जुड़ा है और पूरे देश में विश्वास की एक अलग लहर पैदा करता है। यदि राहुल गांधी फर्जी जननायक बनकर फर्जी वादों में लगे रहेंगे, तो कोई फायदा नहीं होगा। सामंती सुल्तान से जननायक बनने के लिए कई जन्म लेने पड़ेंगे।
वक्फ कानून पर राजद नेताओं के बयानों पर उन्होंने कहा कि यह आस्था के संरक्षण के लिए है। जिनकी दुकानें चल रही थीं, उनके पेट में दर्द हो रहा है। कानून फाड़ने के लिए नहीं, बल्कि मजबूती से जमीन पर उतारने के लिए होते हैं।
एसआईआर पर विपक्षी नेताओं के बयानों पर भाजपा नेता ने कहा कि हर समावेशी और संवैधानिक सुधार पर सियासी और सांप्रदायिक वार करने की कुछ लोगों की आदत बन गई है। यदि आप समाज में भय और भ्रम का माहौल बनाने की कोशिश करेंगे, तो यह अब सफल नहीं होगा। मतदाता सूची शुद्धिकरण अभियान आगे बढ़ेगा। अराजकता और उदंडता इसे रोक नहीं सकती।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण का अभियान किसी सियासी लिंचिंग के लिए नहीं है। कुछ लोगों की आदत बन गई है कि देशहित में होने वाले हर सुधार पर काल्पनिक कंफ्यूजन क्रिएट करने की क्रिमिनल कांस्पिरेसी में जुट जाएं। वे देशहित में नहीं सोचते, सिर्फ भ्रम का माहौल पैदा करते हैं।
नकवी ने कहा कि एसआईआर पहली बार नहीं हो रहा, पहले भी होता रहा है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां अवैध मतदाताओं की समीक्षा और वैध मतदाताओं की सुरक्षा होती रही है।