क्या गौरव वल्लभ ने गांधी परिवार पर निशाना साधा?
सारांश
Key Takeaways
- गौरव वल्लभ का बयान प्रधानमंत्री पद की वैकेंसी पर सवाल उठाता है।
- भाजपा नेता ने परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ अपनी बात रखी।
- कांग्रेस के भीतर के असंतोष को उजागर किया गया।
- बीजेपी की राजनीति में युवा नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर।
- राजनीतिक गठबंधनों की वास्तविकता पर सवाल उठाया गया।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी ही नहीं है, तो वे आवेदन क्यों भेज रहे हैं। यह प्रतिक्रिया उन्होंने कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के उस बयान पर दी, जिसमें उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा को पीएम बनाने की वकालत की।
नई दिल्ली में राष्ट्र प्रेस से बातचीत में भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने कहा, "जब प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी ही नहीं है तो लोग आवेदन क्यों कर रहे हैं? पीएम का पद सिर्फ नाम से नहीं मिलता। यह त्याग, तपस्या और देश के प्रति समर्पण से मिलता है, जैसा कि पीएम मोदी को प्राप्त हुआ है। देश के पीएम नरेंद्र मोदी को जनता ने चुना है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं बेहतर हूं" सिर्फ इसीलिए पीएम पद नहीं मिल जाता। पीएम का पद प्रयोगशाला नहीं है और वहाँ कोई वैकेंसी नहीं है। वैकेंसी नहीं है तो आवेदन क्यों भेज रहे हैं? यह अनुप्रयोग बेरंग लौट आएगा। कमीशन इसे वापस लौटा देगा, क्योंकि कोई वैकेंसी नहीं है।
भाजपा नेता ने शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए कहा, "यह परिवार अपनी राजनीति और चुनावों में जमानत बचाने के लिए एक साथ आ रहा है। एक अपने पिता के नाम पर राजनीति करता है और दूसरा अपने चाचा के आधार पर। जनता ने दोनों को पहले ही अस्वीकार कर दिया है।"
उन्होंने कहा कि अपनी राजनीतिक हैसियत को बनाए रखने के लिए और चुनावों में जमानत बचाने के लिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आए हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दोनों का न तो मन मिला है और न ही उनकी दृष्टि एक समान है। दोनों अब सिर्फ बीएमसी चुनाव में जमानत बचाने के लिए एक साथ आए हैं, परंतु पूरा भारत परिवारवाद और वंशवाद से आगे बढ़ चुका है। जनता उन्हें नहीं चुनती जो अपने पिता-चाचा के नाम पर हैं। जो अपने दम पर हैं, उन्हें जनता ने चुना है।
गौरव वल्लभ ने कहा कि यह मिलन किसी विचारों का मिलन नहीं है, बल्कि जमानत बचाने का मिलन है। महाराष्ट्र के लोग कभी भी परिवारवाद को स्वीकार नहीं करेंगे।