क्या जीएसटी कम करने का फैसला स्वागत योग्य है? : नीरज कुमार

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी में कमी से आम जनता को आर्थिक सहूलियत मिलेगी।
- बिहार में बुनियादी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- नीरज कुमार का यह कदम जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए अवसर है।
- विलासिता पर जीएसटी बढ़ाने का स्वागत किया गया है।
- प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा की गई है।
पटना, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने जीएसटी की दरें कम करने के सरकार के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि बिहार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इससे आम लोगों को आर्थिक मोर्चे पर लाभ होगा।
नीरज कुमार ने कहा कि आज हर घर में बिजली है, और निश्चित रूप से लोगों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में जीएसटी की दरों में कमी आम लोगों के लिए आर्थिक सहूलियत का कारण बनेगी, जिसका हम सभी स्वागत करते हैं।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सुशील मोदी जीएसटी काउंसिल के पहले अध्यक्ष थे, और बिहार को यह गौरव प्राप्त हुआ है। ऐसी स्थिति में जीएसटी की दरों में कमी किसान और बिहार के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित होगा। इससे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी विकास के क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा।
जदयू नेता ने कहा कि निश्चित रूप से सरकार के इस कदम से हम आम जनता के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं भी बना सकेंगे। उन्होंने विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाने का भी स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी वस्तुओं का उपभोग कौन करता है? निसंदेह समाज का संभ्रांत वर्ग, इसलिए यदि विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ता है तो हमें इसका स्वागत करना चाहिए।
उन्होंने बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई विवादित टिप्पणी की निंदा की। नीरज कुमार ने कहा कि माता सीता की धरती पर प्रधानमंत्री के लिए की गई टिप्पणी से हमारा दिल पीड़ा से भर गया।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि यह दुख की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी पर अपमानजनक टिप्पणी की जाती है, परंतु इंडिया गठबंधन से जुड़े किसी भी नेता की तरफ से इसकी आलोचना नहीं की जाती। यह दुखद है। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित भाषा को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।