क्या गुजरात के सांसद टीबी मुक्त भारत के लिए एकजुट हुए? जेपी नड्डा ने जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई का आह्वान किया
सारांश
Key Takeaways
- टीबी मुक्त भारत के लिए सांसदों का समर्थन और सक्रियता आवश्यक है।
- गुजरात की स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती टीबी उन्मूलन में मदद कर सकती है।
- सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
- टीबी के खिलाफ जन संपर्क की पहलों को बढ़ावा देना चाहिए।
- निक्षय मित्र नेटवर्क के माध्यम से सामुदायिक सहायता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बुधवार को गुजरात के सांसदों के साथ 'टीबी मुक्त भारत' के राष्ट्रीय मिशन को आगे बढ़ाने के लिए एक गहन रणनीतिक संवाद किया। यह संवाद 'संसद सदस्य टीबी मुक्त भारत का समर्थन करते हैं' पहल के तहत संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गरवी गुजरात भवन में आयोजित हुआ।
इस सत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री निमुबेन बंभानिया और गुजरात के दोनों सदनों के सांसद शामिल थे। जेपी नड्डा ने सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि देश ने 2015 से 2024 के बीच टीबी की घटनाओं में लगभग 21 प्रतिशत की कमी हासिल की है, और उपचार की सफलता दर लगभग 90 प्रतिशत है, जो हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आकलन से कहीं अधिक है।
केंद्रीय मंत्री ने इस पर जोर दिया कि गुजरात अपनी मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों, नवाचारों को तेजी से अपनाने और मजबूत कार्यक्रम स्वामित्व के कारण अगली पीढ़ी की टीबी उन्मूलन रणनीतियों को लागू करने में एक अग्रणी राज्य बन सकता है। नड्डा ने सांसदों से निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर हस्तक्षेप करने का आह्वान करते हुए संसदीय प्रबंधन संबंधी विशिष्ट कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
इसमें टीबी संकेतकों की नियमित निर्वाचन क्षेत्र स्कोरकार्ड समीक्षा, कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए राज्य विभागों के साथ समन्वय, जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठकों के माध्यम से टीबी समीक्षाओं का संस्थागतकरण, और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं के समयबद्ध समाधान की बात की गई।
जेपी नड्डा ने सांसदों से आग्रह किया कि वे टीबी के प्रति जागरूकता को जन संपर्क की चल रही पहलों, स्थानीय मीडिया प्रचार और सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करें ताकि इसका मुकाबला किया जा सके और लोगों को शीघ्र परीक्षण और उपचार कराने के लिए प्रेरित किया जा सके। मंत्री ने आगे निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर निक्षय शिविरों के आयोजन और निक्षय मित्र नेटवर्क के विस्तार को प्रोत्साहित किया ताकि टीबी का इलाज करा रहे व्यक्तियों को पोषण, परामर्श और कल्याणकारी सहायता सहित निरंतर सामुदायिक सहायता सुनिश्चित की जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने सांसदों को सामुदायिक केंद्रित स्क्रीनिंग, उन्नत तकनीक-आधारित निगरानी और पोषण संबंधी सहायता के महत्व जैसी उभरती नीतिगत दिशाओं के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक आराधना पटनायक ने टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत हुई प्रगति की जानकारी दी और राज्य के योगदान को गति देने में संसदीय भागीदारी को मजबूत करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
गुजरात के सांसदों ने निर्वाचन क्षेत्र आधारित टीबी उन्मूलन प्रयासों को आगे बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और टीबी मुक्त भारत की दिशा में एक समन्वित, परिणाम-केंद्रित और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।