क्या गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस सिख समाज का मान बढ़ाता है?
सारांश
Key Takeaways
- गुरु तेग बहादुर जी की शहादत 350 साल पूरे हुए।
- पीएम मोदी ने समारोह में भाग लिया।
- गीता अनुभव केंद्र का उद्घाटन हुआ।
- पर्यटन को बढ़ावा देने की संभावनाएँ।
- सिख और हिंदू एकता को बल मिला।
कुरुक्षेत्र, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मंगलवार को श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के ३५० साल पूरे होने पर गीता उपदेश स्थली पर एक भव्य समागम आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने एक विशेष सिक्का और स्मारक डाक टिकट जारी किया। उन्होंने गीता अनुभव केंद्र का अवलोकन किया और पांचजन्य स्मारक का उद्घाटन भी किया।
इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान अपने अनुभव साझा किए और पीएम मोदी की सराहना की। लोगों ने कहा कि कुरुक्षेत्र की धरती पर पीएम मोदी के आगमन से सिख समाज गौरवान्वित है।
अलकेश मोदगिल ने कहा कि गीता अनुभव केंद्र और पाञ्चजन्य शंख स्मारक का उद्घाटन निश्चित रूप से पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार में वृद्धि करेगा। इसमें महाभारत से संबंधित हर सीन को समझाया गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत कम लोग जानते हैं कि पाञ्चजन्य शंख भगवान ने महाभारत में बजाया था। इससे संबंधित साहित्य अब लोगों को पढ़ने को देखने को मिलेगा। यहां पर हर साल सैकड़ों की संख्या में सैलानी आते हैं। २५ देशों के स्टाल कार्यक्रम के दौरान लगाए गए हैं।
वहीं, रोशन बेदी का कहना है कि आज के महा समागम से हिंदू सिख एकता को बल मिलेगा। गुरु तेग बहादुर की शहादत के ३५० साल पूरे होने पर समागम से सिख समाज गौरवान्वित है।
उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी थी। आज उनके ३५०वीं शहीदी दिवस मनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुरुक्षेत्र में उपस्थित रहे। गुरुओं का संदेश सर्वधर्म समाज में समरसता और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए है। पीएम मोदी का संदेश बड़ा ही सकारात्मक रहा है। आज के समारोह में शिरकत करने और सिख समाज के सम्मान के लिए पीएम मोदी का बहुत धन्यवाद व्यक्त करता हूं।