क्या ग्वालियर मेडिकल कॉलेज को विश्वस्तरीय स्वरूप देने की तैयारी चल रही है?
सारांश
Key Takeaways
- ग्वालियर मेडिकल कॉलेज को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं।
- 2028 तक सभी निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है।
- 500 बिस्तरों वाला सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित किया जाएगा।
- अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी।
- स्वच्छता और पर्यावरणीय मानकों का ध्यान रखा जाएगा।
भोपाल, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित गजरा राजा मेडिकल कॉलेज को विश्वस्तरीय रूप में विकसित करने की प्रक्रिया चल रही है। इस दिशा में राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं परिवार कल्याण स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंत्रालय में गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर एवं संबंधित अस्पताल के सुदृढ़ीकरण कार्यों की विस्तृत समीक्षा की और कहा कि निर्माण और अधोसंरचना से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं वर्ष 2028 से पहले पूर्ण की जाएं, ताकि नागरिकों को जल्द ही उच्चस्तरीय और विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
उन्होंने बताया कि गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, जो लंबे समय से क्षेत्र के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। इस संस्थान को भविष्य की आवश्यकताओं, अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता है।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा और जन-स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को उन्नत करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस चिकित्सा महाविद्यालय का प्रस्ताव इस प्रकार तैयार किया जाए कि आने वाले वर्षों में किसी भी प्रकार की संरचनात्मक या तकनीकी बाधा उत्पन्न न हो और कॉलेज परिसर का विस्तार दीर्घकालिक दृष्टि से लाभकारी सिद्ध हो।
उन्होंने कहा कि मरीजों की सुविधा, चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के कार्यस्थल की सहजता, साथ ही शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने 500 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को योजना में शामिल करने के निर्देश दिए और एमआरआई, लिनेक सहित अत्याधुनिक चिकित्सकीय उपकरणों की स्थापना का भी प्रावधान करने को कहा।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि अस्पताल परिसर में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की क्षमता भविष्य की मांग के अनुसार हो ताकि स्वच्छता और पर्यावरणीय मानकों का पूर्ण पालन किया जा सके। मरीजों के परिजनों और बाहर से आने वाले आगंतुकों की सुविधा के लिए रैन बसेरा (विश्राम गृह) का निर्माण भी प्रस्ताव में शामिल किया जाए।