क्या हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या दलित शोषण का परिणाम है? : टीकाराम जूली

सारांश
Key Takeaways
- दलित शोषण का मामला गंभीर है।
- जातिगत भेदभाव हमारे समाज में व्याप्त है।
- न्यायिक जांच आवश्यक है।
- भाजपा सरकार की भूमिका संदिग्ध है।
- इस मामले का राजनीतिक प्रभाव हो सकता है।
जयपुर, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने हरियाणा के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या के मामले को दलित शोषण का परिणाम करार दिया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि सीनियर आईपीएस अधिकारी को अपनी जाति के कारण उच्च अधिकारियों से जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। समस्या तब और बढ़ गई जब उनके वरिष्ठ अधिकारी उनके श्रम को नजरअंदाज करते हुए उन्हें कई सुविधाओं से वंचित कर देते थे। अंततः उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि यह चिंतनीय है कि एक दलित समुदाय से आने वाला व्यक्ति आईपीएस जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुँचता है, फिर भी उसे शोषण का सामना करना पड़ता है। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य है कि आज भी जातिगत व्यवस्था कायम है। जिस तरह से इस सीनियर आईपीएस अधिकारी को उसके दलित होने के कारण तंग किया गया, उसे किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, वह कम है।
कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने हरियाणा की भाजपा सरकार को भी आरोपित किया और कहा कि मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि इस मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की भी भूमिका है। मैं इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करता हूँ। निश्चित रूप से जो भी इस मामले में शामिल हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने हालिया समय में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि जब एक दलित समुदाय से आने वाला व्यक्ति चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनता है, तो उसके साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
साथ ही, उन्होंने बिहार चुनाव के मुद्दे पर भी भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि यह बेहतर होगा कि भाजपा हमारे बारे में सोचने के बजाय अपने बारे में सोचे। इंडिया गठबंधन बिहार में अपनी जीत के लिए पूरी तरह आश्वस्त है। ऐसे में मैं समझता हूँ कि भाजपा को इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।