क्या हरियाणा के समालखा में 78वें निरंकारी समागम का आयोजन अद्भुत है?

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क्या हरियाणा के समालखा में 78वें निरंकारी समागम का आयोजन अद्भुत है?

सारांश

हरियाणा के समालखा में चल रहे 78वें निरंकारी समागम में 25 देशों के श्रद्धालु और एक लाख सेवादार उपस्थित हैं। इस भव्य आयोजन में 24 घंटे लंगर की सेवा की जा रही है। यह समागम मानवता और आत्ममंथन के प्रतीक के रूप में कार्य कर रहा है।

Key Takeaways

  • समागम में 25 देशों के श्रद्धालु शामिल हैं।
  • 24 घंटे लंगर सेवा का संचालन।
  • एक लाख सेवादार की उपस्थिति।
  • सामाजिक एकता और मानवता का संदेश।
  • आत्ममंथन का विषय।

समालखा, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के समालखा में स्थित संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, जीटी रोड पर आयोजित 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का दृश्य किसी अद्भुत आध्यात्मिक मेला जैसा प्रतीत होता है। लगभग 650 एकड़ में फैले इस समागम में 25 देशों से श्रद्धालु आ चुके हैं और एक लाख सेवादार व्यवस्थाओं में सक्रिय हैं। इसके साथ ही, 24 घंटे लंगर की महासेवा भी संचालित हो रही है।

अब तक समागम में लगभग 5 से 5.5 लाख श्रद्धालु और संत महात्मा पहुँच चुके हैं, और आयोजकों को उम्मीद है कि यह संख्या अगले दिनों में 10 लाख तक पहुँच सकती है।

समागम के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में बताया कि यह आयोजन मानवता और आत्ममंथन का संगम है। यहाँ हर व्यवस्था का संचालन कुशलता से किया गया है जिसमें छह विशाल लंगर, 22 कैंटीन, अस्पताल, डिस्पेंसरी और हजारों शौचालय शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि करीब एक लाख सेवादल वॉलंटियर्स एनएच से लेकर रेलवे स्टेशन तक ड्यूटी पर तैनात हैं। यह सेवा किसी जाति, धर्म या देश के भेदभाव से परे है। विदेशी सेवादल भी भारतीय साथियों के साथ मिलकर सेवा कर रहे हैं।

समागम का मुख्य विषय ‘आत्ममंथन’ रखा गया है। सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने संदेश दिया कि हर व्यक्ति को अपने भीतर झांककर यह विचार करना चाहिए कि वह समाज के उत्थान में कितना योगदान दे रहा है। आगे के सत्रों में निरंकारी राजपिता भी इसी विषय पर प्रेरणादायक विचार साझा करेंगे।

सुखीजा ने बताया कि लगभग 25 देशों से 3,000 विदेशी श्रद्धालु समागम स्थल पर पहुँच चुके हैं और यह संख्या 5,000 तक पहुँचने की संभावना है। सभी विदेशी सेवादल भी भारतीय वॉलंटियर्स के साथ सेवा में लगे हैं।

लंगर सेवा के प्रभारी प्रदीप वर्मा ने बताया कि यहाँ लंगर 24 घंटे चलता है। 10 बड़े कड़ाहों में दाल और चावल बनाए जाते हैं, जबकि चपातियाँ रोटेशन में बनती रहती हैं। प्रतिदिन 50 क्विंटल से अधिक आटा और 4 क्विंटल दाल और चावल का उपयोग होता है।

सुखीजा ने बताया कि हमारे ग्राउंड में एक समय में 10,000 श्रद्धालु भोजन कर सकते हैं, और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

लंगर सेवा में 300 से अधिक बहनें और 300 से अधिक भाई भोजन बनाने में लगे हुए हैं, जबकि 2,000 से अधिक सेवादार 3-3 घंटे की शिफ्ट में भोजन परोसने का कार्य कर रहे हैं। हर जगह सेवादल की अनुशासित वर्दियाँ और सेवा का जज़्बा देखने को मिलता है। सचिव सुखीजा ने कहा कि सेवा में कोई भेदभाव नहीं है। सभी सेवा में समानता के भाव से जुटे हैं, यही निरंकारी मिशन की असली पहचान है।

Point of View

बल्कि यह मानवता की सेवा और सामाजिक एकता का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में सद्भाव और एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।
NationPress
01/11/2025

Frequently Asked Questions

इस समागम में कितने देशों के श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं?
इस समागम में लगभग 25 देशों के श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
लंगर सेवा कितने घंटे चलती है?
यहाँ लंगर सेवा 24 घंटे चलती है।
समागम का मुख्य विषय क्या है?
समागम का मुख्य विषय 'आत्ममंथन' है।
इस समागम में कितने सेवादार कार्य कर रहे हैं?
इस समागम में लगभग एक लाख सेवादार कार्य कर रहे हैं।
क्या यहाँ विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हैं?
हाँ, यहाँ लगभग 3,000 विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हैं।