क्या मुर्शिदाबाद दंगे में पिता-पुत्र हत्याकांड के 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली?

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क्या मुर्शिदाबाद दंगे में पिता-पुत्र हत्याकांड के 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली?

सारांश

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद दंगे में पिता-पुत्र की हत्या के 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यह मामला वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ है। न्यायाधीश ने इसे व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया। भाजपा ने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित हत्याएं कहा।

Key Takeaways

  • मुर्शिदाबाद दंगे में पिता-पुत्र की हत्या हुई थी।
  • 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
  • यह मामला वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध से जुड़ा था।
  • न्यायाधीश ने इसे व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया।
  • भाजपा ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र कहा।

कोलकाता, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर सब-डिवीजन अदालत ने मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों के दौरान अप्रैल में हरगोबिंदो दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या के दोषी 13 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

सब-डिवीजन अदालत के न्यायाधीश अमिताभ मुखोपाध्याय ने सोमवार को 13 लोगों को दोषी ठहराया था।

मंगलवार को अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सजा सुनाई गई।

मृतक पिता और पुत्र मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर पुलिस जिले के समसेरगंज पुलिस स्टेशन के अंतर्गत जाफराबाद गांव के निवासी थे।

जिन 13 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, उनके नाम दिलदार नादब, अस्माउल नादब, इंजामुल हक, जियाउल हक, फेखरुल शेख, आज़फरुल शेख, मुनिरुल शेख, इकबाल शेख, नूरुल शेख, सबा करीम, हजरत शेख, अकबर अली और यूसुफ शेख हैं।

सोमवार को इस मामले में 13 व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि हत्याओं के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था, बल्कि व्यक्तिगत प्रतिशोध था।

भाजपा ने दावा किया कि न्यायाधीश की टिप्पणी से यह उजागर होता है कि ये हत्याएं वक्फ (संशोधन) अधिनियम का विरोध करने के नाम पर जनता को गुमराह करने और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास थीं।

राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने इन 13 व्यक्तियों को एक-एक करके गिरफ्तार किया था।

इस वर्ष की शुरुआत में एसआईटी ने इस मामले में 900 पृष्ठों का आरोपपत्र प्रस्तुत किया था।

आरोपपत्र में उल्लेख किया गया है कि पिता और पुत्र की हत्या गांव में दंगे रोकने के प्रयास के दौरान हुई। एसआईटी ने हमले को पूर्व नियोजित बताया है।

मृतक पिता और पुत्र के परिवारवालों ने तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मुआवजे को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा प्रस्तावित मुआवजे को स्वीकार कर लिया।

अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद दंगों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश देते हुए क्षेत्र में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती का भी आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने यह भी टिप्पणी की कि सांप्रदायिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा उठाए गए कदम अपर्याप्त थे, और अगर सीएपीएफ को पहले ही तैनात कर दिया जाता, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती।

Point of View

बल्कि यह हमारे समाज की जटिलताओं को भी उजागर करती है। हमें इस पर गहराई से विचार करना चाहिए कि कैसे राजनीतिक स्थिति व्यक्तिगत प्रतिशोध को भड़का सकती है।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

मुर्शिदाबाद दंगे के दोषियों को क्यों सजा दी गई?
दोषियों को वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पिता-पुत्र की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा दी गई।
क्या यह हत्या राजनीतिक कारणों से हुई थी?
न्यायाधीश ने इसे व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया, न कि राजनीतिक मकसद।
इस मामले में विशेष जांच टीम ने क्या किया?
विशेष जांच टीम ने 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और 900 पृष्ठों का आरोपपत्र प्रस्तुत किया।
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