क्या डाइविंग एक कलात्मक जलक्रीड़ा है जिसमें संतुलन और फ्लेक्सिबिलिटी जरूरी है?

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क्या डाइविंग एक कलात्मक जलक्रीड़ा है जिसमें संतुलन और फ्लेक्सिबिलिटी जरूरी है?

सारांश

डाइविंग एक ऐसी अद्भुत जलक्रीड़ा है जिसमें खिलाड़ी ऊँचे प्लेटफॉर्म से पानी में कलात्मक छलांग लगाते हैं। इस खेल में संतुलन, फ्लेक्सिबिलिटी, टाइमिंग और तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जानें डाइविंग के इतिहास और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • डाइविंग एक अद्भुत और कलात्मक जलक्रीड़ा है।
  • इसमें संतुलन और फ्लेक्सिबिलिटी का विशेष महत्व है।
  • डाइविंग का इतिहास 18-19वीं सदी का है।
  • भारत को डाइविंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की आवश्यकता है।
  • ओलंपिक में स्प्रिंगबोर्ड और प्लेटफॉर्म इवेंट शामिल हैं।

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। डाइविंग एक अद्भुत जलक्रीड़ा है जिसमें खिलाड़ी ऊँचे 'प्लेटफॉर्म' या 'स्प्रिंगबोर्ड' से पानी में कलात्मक छलांग लगाते हैं। इस खेल में संतुलन, फ्लेक्सिबिलिटी, टाइमिंग और तकनीक का विशेष महत्व है।

डाइविंग का इतिहास 18-19वीं सदी के आसपास स्वीडन और जर्मनी में शुरू हुआ, जहाँ यह खेल बेहद प्रसिद्ध हुआ। इसकी शुरुआत उन जिमनास्ट ने की, जो पानी में टंबलिंग का अभ्यास करते थे।

जिमनास्ट अपने जिम्नास्टिक मूव्स का अभ्यास करने के लिए ऊँचे प्लेटफॉर्म से कूदते थे, जिसे 'फैंसी डाइविंग' कहा जाता था। 1895 में, इंग्लैंड में डाइविंग की पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें 15 या 30 फीट की ऊँचाई से कूदना अनिवार्य था।

19वीं सदी के अंत में, स्वीडिश डाइवर्स का एक समूह ब्रिटेन आया, जिसने वहाँ इस खेल को और भी लोकप्रिय बनाया।

1901 में, पहला डाइविंग संगठन, एमेच्योर डाइविंग एसोसिएशन का गठन हुआ। तीन साल बाद, इस खेल को ओलंपिक में भी स्थान मिला।

1904 के सेंट लुइस ओलंपिक में डाइविंग को शामिल किया गया। फिर 1908 के लंदन ओलंपिक में, इसमें स्प्रिंगबोर्ड और प्लेटफॉर्म इवेंट जोड़े गए। 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक में, महिला डाइवर्स को भी शामिल किया गया।

समय के साथ, तकनीक, नियम और उपकरणों में बदलाव आए हैं। 1960 के आसपास उन्नत डाइविंग बोर्ड शामिल किए गए, जिसने इस खेल को और भी शानदार बना दिया।

ओलंपिक में दो प्रकार के डाइविंग बोर्ड होते हैं: एक 'स्प्रिंगबोर्ड' और दूसरा 'प्लेटफॉर्म''स्प्रिंगबोर्ड डाइविंग' पानी से 3 मीटर ऊपर लचीले बोर्ड से होती है, जबकि 'प्लेटफॉर्म डाइविंग' पानी से 10 मीटर की ऊँचाई पर होती है। इस बोर्ड में लचीलापन नहीं होता, इसलिए डाइवर्स को अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना पड़ता है।

ओलंपिक में इन दोनों प्रकार की डाइविंग में 'व्यक्तिगत' और 'सिंक्रोनाइज्ड' इवेंट शामिल होते हैं। पुरुषों की प्रतियोगिता 6 राउंड की होती है, जबकि महिलाओं की प्रतियोगिता 5 राउंड की होती है।

व्यक्तिगत गोताखोरों को 7 जज अंक देते हैं। वहीं, सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग में 11 जज का पैनल होता है। जज अंक देते समय प्रारंभिक स्थिति, टेक ऑफ, फ्लाइट और पानी में प्रवेश के आधार पर विचार करते हैं।

आपने देखा होगा कि डाइवर्स प्रत्येक डाइव के बाद नहाते हैं। इसका कारण यह है कि मुकाबले के दौरान डाइवर्स अपनी मांसपेशियों को गर्म रखने और स्ट्रेन या क्रैंप्स से बचने के लिए ऐसा करते हैं।

भारत धीरे-धीरे इस खेल में अपनी पहचान बना रहा है। ओलंपिक पदक जीतने के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य रखते हुए, कम उम्र के प्रतिभाशाली डाइवर्स को चुनकर उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। इसके साथ ही, उन्हें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और विश्व स्तरीय कोचिंग भी प्रदान की जानी चाहिए। भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर की आवश्यकता है।

Point of View

बल्कि यह कला, तकनीक और संकल्प का प्रतीक है। जब हम भारतीय खिलाड़ियों की बात करते हैं, तो हमें उन्हें आधुनिक सुविधाओं और कोचिंग प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

डाइविंग का इतिहास क्या है?
डाइविंग का इतिहास 18-19वीं सदी में स्वीडन और जर्मनी से शुरू हुआ, जहाँ इसे जिमनास्टों द्वारा पानी में टंबलिंग के रूप में अभ्यास किया गया।
डाइविंग के ओलंपिक इवेंट्स क्या हैं?
ओलंपिक में डाइविंग के दो प्रमुख इवेंट्स होते हैं: 'स्प्रिंगबोर्ड डाइविंग' और 'प्लेटफॉर्म डाइविंग', जिसमें व्यक्तिगत और सिंक्रोनाइज्ड इवेंट शामिल होते हैं।
भारत में डाइविंग का स्तर कैसा है?
भारत धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डाइविंग में अपनी पहचान बना रहा है, लेकिन इसे और अधिक प्रशिक्षण और सुविधाओं की आवश्यकता है।
डाइविंग में क्या-क्या कौशल महत्वपूर्ण हैं?
डाइविंग में संतुलन, फ्लेक्सिबिलिटी, टाइमिंग और तकनीक महत्वपूर्ण कौशल हैं।
डाइविंग में जज कैसे अंकित करते हैं?
डाइविंग में जज प्रारंभिक स्थिति, टेक ऑफ, फ्लाइट और पानी में प्रवेश के आधार पर अंक देते हैं।
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