क्या प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा व्यापार और रक्षा संबंधों को मजबूत करने में सहायक होगी?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा का मुख्य उद्देश्य व्यापार बढ़ाना है।
- रक्षा संबंधों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण चर्चा होगी।
- ब्रिटेन भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक है।
- दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
- प्रवासी भारतीयों की भूमिका को महत्व दिया जाएगा।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) को और भी मजबूत करने के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यात्रा से पहले, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यूके और मालदीव की यात्रा के बारे में जानकारी दी।
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यूनाइटेड किंगडम की चौथी यात्रा होगी, जिसमें वे पहले भी 2015 और 2018 में ब्रिटेन आ चुके हैं। 2021 में उन्होंने ग्लासगो में COP-26 शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया था। पिछले वर्ष, दोनों नेताओं की मुलाकात जी-20 और जी-7 शिखर सम्मेलनों में हुई थी।
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और कीर स्टार्मर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे तथा भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे। इसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा और जलवायु जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी के किंग चार्ल्स तृतीय से मिलने और ब्रिटेन में व्यापारिक नेताओं एवं भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करने की भी योजना है।
विदेश सचिव मिस्री ने कहा, "इसके अलावा, विदेश मंत्री और उनके समकक्ष के बीच नियमित बैठकें होती हैं। कई अन्य संस्थागत तंत्र भी हैं, जो वित्तीय, आर्थिक, और साइंस व टेक्नोलॉजी से संबंधित मुद्दों पर काम कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि ब्रिटेन भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक है, जिसका कुल निवेश 36 अरब अमेरिकी डॉलर है। भारत स्वयं भी ब्रिटेन में 20 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करता है।
उन्होंने नीति आयोग और लंदन के बीच यूके-भारत इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज के बारे में भी जानकारी दी, जो हरित परियोजनाओं के लिए वित्त जुटाने में सहायक है।
रक्षा संबंधों पर बात करते हुए, उन्होंने कहा, "हम सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के बीच नियमित बातचीत देख रहे हैं।"
उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच मलेरिया के टीके के सह-विकास पर सहमति की भी जानकारी दी है।
विदेश सचिव ने प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर जोर दिया, जो द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, "यह जीवंत सेतु है, जो 18 लाख प्रवासी भारतीयों को जोड़ता है।"