क्या धान खरीद में अव्यवस्थाओं के चलते बीजद ने सरकार को अल्टीमेटम दिया?

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क्या धान खरीद में अव्यवस्थाओं के चलते बीजद ने सरकार को अल्टीमेटम दिया?

सारांश

ओडिशा में धान खरीद पर मचे हंगामे के बीच बीजद ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है। यदि किसान की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो पार्टी आंदोलन करेगी। जानें इस मसले पर बीजद के नेताओं का क्या कहना है?

Key Takeaways

  • बीजद ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है।
  • किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा।
  • सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
  • खरीफ धान की खरीद में अव्यवस्था है।
  • किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

भुवनेश्वर, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा में धान खरीद को लेकर जारी विवाद के बीच विपक्षी दल बीजू जनता दल (बीजद) ने राज्य सरकार को एक सख्त अल्टीमेटम जारी किया है। बीजद ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

मंगलवार को भुवनेश्वर स्थित पार्टी के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजद की वरिष्ठ नेता और विधानसभा में पार्टी की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने सरकार की नीतियों पर कड़ा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि चावल मिल मालिकों और राज्य सरकार के बीच सहयोग के कारण किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। प्रमिला मलिक ने कहा कि एफएक्यू (फेयर एवरेज क्वालिटी) मानकों के नाम पर लगातार धान खारिज किया जा रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसानों को न्याय नहीं मिला, तो बीजद सड़कों पर उतरने को तैयार है।

इस दौरान पार्टी के उपाध्यक्ष संजय कुमार दास बर्मा ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार भले ही प्रति क्विंटल 800 रुपए की इनपुट सब्सिडी देने का दावा कर रही हो, लेकिन किसानों को उनका पूरा हक नहीं मिल पा रहा है। बर्मा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024–25 में तय लक्ष्य के मुकाबले केवल लगभग 20 प्रतिशत धान की ही खरीद हो सकी है।

उन्होंने बताया कि इस साल खरीफ धान की खरीद का मौसम आ चुका है, लेकिन अब तक कई स्थानों पर खरीद शुरू नहीं हुई। सरकार ने दावा किया था कि 11 जिलों में मंडियां खोल दी गई हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कहीं भी खरीद शुरू नहीं हुई। इन 11 जिलों के किसान अब सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा प्रति टोकन कितनी मात्रा में धान खरीदा जाएगा, इसे लेकर भी भारी भ्रम है। अनौपचारिक तौर पर केवल 100 क्विंटल प्रति टोकन खरीद की बात कही जा रही है।

बीजद नेता ने मंत्रियों के बयानों में विरोधाभास की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति मंत्री का कहना है कि तय वार्षिक सीमा से अधिक खरीद नहीं होगी, जबकि सहकारिता मंत्री प्रति टोकन 150 क्विंटल तक खरीद की बात कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पहले कैबिनेट बैठक में यह कहा था कि सभी एफएक्यू मानक वाले धान की खरीद की जाएगी। बर्मा ने सवाल उठाया, 'आखिर किसान किसकी बात पर भरोसा करें?'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जियो-टैगिंग, सैटेलाइट सर्वे, एफएक्यू मानक और ग्रेन एनालाइजर के जरिए जानबूझकर खरीद की मात्रा कम की जा रही है।

वहीं दूसरी ओर, खरीफ 2025-26 धान खरीद की समीक्षा के दौरान अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री एवं कृषि एवं किसान सशक्तिकरण मंत्री केवी सिंह देव ने अधिकारियों को किसानों के साथ सहयोग करने और उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों को नियमित रूप से मंडियों का दौरा करने की सलाह दी गई।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में फिलहाल खरीफ 2025-26 की धान खरीद जारी है। अब तक विभिन्न मंडियों के माध्यम से 97,972 किसानों से कुल 4,39,294 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है।

Point of View

ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

बीजद ने सरकार को क्या अल्टीमेटम दिया है?
बीजद ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन करेगी।
किसानों की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो रहा?
किसानों का आरोप है कि चावल मिल मालिकों और राज्य सरकार के बीच गठजोड़ के कारण उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा।
राज्य सरकार की क्या नीतियां हैं?
राज्य सरकार ने प्रति क्विंटल 800 रुपए की सब्सिडी देने का दावा किया है, लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें उनका पूरा हक नहीं मिल रहा।
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