क्या भारत के रिटेल पेमेंट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत रहा?

सारांश
Key Takeaways
- डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8% तक पहुँच गया है।
- यूपीआई, एईपीएस और आईएमपीएस जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
- फाइनेंशियल इंक्लूजन को सक्षम करने में यह बदलाव महत्वपूर्ण है।
- नकदी का महत्व अभी भी बना हुआ है, 50% हिस्सेदारी के साथ।
- डिजिटल पेमेंट के भविष्य में यूपीआई का प्रभुत्व मजबूत होगा।
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत के रिटेल पेमेंट में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत तक पहुँच गया है। इस दौरान, नीतिगत प्रोत्साहन, इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट और फिनटेक पेनिट्रेशन के चलते पेपर-बेस्ड इंस्ट्रूमेंट (जैसे चेक) का प्रचलन कम हो गया है। यह जानकारी सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई।
रिपोर्ट के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), आधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस), तत्काल पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) और अन्य डिजिटल पेमेंट की वजह से रिटेल ट्रांजैक्शन में डिजिटल पेमेंट का दबदबा देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक पेमेंट वैल्यू का 92.6 प्रतिशत और ट्रांजैक्शन की मात्रा का 99.8 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट से आया।
केयरएज एनालिटिक्स एंड एडवाइजरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस परिवर्तन में बढ़ती इंटरनेट पहुँच और स्मार्टफोन का उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह बदलाव फाइनेंशियल इंक्लूजन को सक्षम बनाते हुए बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी को फॉर्मल डिजिटल इकोनॉमी में लाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई के तेजी से बढ़ते लेनदेन के पीछे मुख्य कारण है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 54.9 बिलियन ट्रांजैक्शन और वित्त वर्ष 2025 में 185.9 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए।
वित्त वर्ष 2023 और 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन में 49 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि हुई है, जो टियर 2 और टियर 3 शहरों में तेजी से बढ़ते अडॉप्शन को दर्शाता है।
केयरएज रिसर्च की वरिष्ठ निदेशक तन्वी शाह ने कहा, "वित्त वर्ष 23 और 25 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन में 49 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि हुई है, जो इंटरनेट की बढ़ती पहुँच और टियर 2 तथा टियर 3 शहरों में इसकी गहरी पहुँच को दर्शाती है।"
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूपीआई का विकास जारी रहेगा, जिससे भारत के डिजिटल पेमेंट लैंडस्केप में इसका प्रभुत्व और मजबूत होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 के 30 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 50 प्रतिशत हो गई है। यह यूपीआई के बढ़ते उपयोग, नीतिगत बदलावों और बदलते उपभोक्ता व्यवहार के कारण संभव हुआ है।
हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद नकदी का महत्व बना हुआ है और पीएफसीई में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत बनी हुई है।