क्या भारत 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र का ग्रोथ इंजन बनेगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत की जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत होने की संभावना।
- महंगाई दर लगभग 4.2 प्रतिशत।
- युवा जनसंख्या और तकनीकी विकास का योगदान।
- पर्यटन क्षेत्र की वृद्धि।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तेजी से अपनाना।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत आने वाले वर्ष 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे रहने की संभावनाएं रखता है। भारत की जीडीपी में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि महंगाई दर लगभग 4.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में प्रकाशित हुई है।
मास्टरकार्ड इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट (एमईआई) द्वारा जारी वार्षिक आर्थिक दृष्टिकोण के अनुसार, यह तेज विकास घरेलू मांग में मजबूती के कारण होगा, जिसे सरकार की आसान ब्याज दरें, टैक्स सुधार, जीएसटी में बदलाव और वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट से समर्थन मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की युवा जनसंख्या, डिजिटल तकनीक का तेजी से उपयोग और नई तकनीकों का विकास भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करता है। इससे छोटे शहरों (टियर-2 और टियर-3) और आईटी केंद्रों में रोजगार और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटन भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है। गोवा, ऋषिकेश और अमृतसर जैसे स्थलों पर आने वाले पर्यटकों से स्थानीय लोगों और छोटे व्यापारियों को लाभ हो रहा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को तेजी से अपना रहा है, और उसे एआई उत्साह सूचकांक में 8 अंक मिले हैं, जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता में वृद्धि होगी।
वैश्विक स्तर पर 2026 में आर्थिक विकास दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2025 (3.2 प्रतिशत) से थोड़ी कम होगी। हालाँकि, एआई जैसी नई तकनीकों और सरकारी खर्चों से विकास को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इसका लाभ सभी देशों को समान रूप से नहीं मिलेगा।
मास्टरकार्ड के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री डेविड मान ने कहा, "वैश्विक व्यापार में अपनी केंद्रीय भूमिका को बनाए रखते हुए एशिया प्रशांत क्षेत्र ने ऐसे समय में अद्वितीय लचीलापन प्रदर्शित किया है जब टैरिफ की अनिश्चितता और बदलती आपूर्ति श्रृंखलाएं अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य को बाधित करने की धमकी दे रही हैं।"
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि व्यापार में परिवर्तन और नई चुनौतियों के बावजूद, एशिया-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक व्यापार में मजबूत बना हुआ है। भारत, दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) देश और चीन सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।