क्या भारत में स्टार्टअप्स की संख्या 2.01 लाख के पार हो गई है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत में स्टार्टअप्स की संख्या 2.01 लाख के पार पहुंच गई है।
- इन स्टार्टअप्स ने 21 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा की हैं।
- महिलाएं इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंक 38 हो गई है।
- सरकारी योजनाओं से 12.3 लाख लोगों को रोजगार मिला है।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में स्टार्टअप्स की संख्या निरंतर वृद्धि कर रही है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार, स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत अब देश में 2,01,335 स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इन स्टार्टअप्स ने देशभर में 21 लाख से ज्यादा नौकरियाँ उत्पन्न की हैं, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला है। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी एक वार्षिक रिपोर्ट में दी गई है।
मंत्रालय ने रिपोर्ट में बताया कि भारत के स्टार्टअप क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत के लगभग आधे (48 प्रतिशत से अधिक) स्टार्टअप्स में कम से कम एक महिला निदेशक है। यह दर्शाता है कि महिलाएं भी व्यवसाय में आगे बढ़ रही हैं और देश के स्टार्टअप क्षेत्र को सशक्त बना रही हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले दस वर्षों में भारतीयों द्वारा किए गए पेटेंट आवेदन में 425 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही नवाचार के आधार पर बनने वाली वैश्विक रैंकिंग, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंक बढ़कर 38 हो गई है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी भी तेजी से बढ़ रहा है। इसका उद्देश्य है कि ऑनलाइन खरीदारी (ई-कॉमर्स) सभी के लिए आसान और सुलभ बने। अक्टूबर 2025 तक ओएनडीसी पर 3.26 करोड़ से ज्यादा ऑर्डर पूरे किए जा चुके हैं।
देश के हर जिले को आगे बढ़ाने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना चलाई जा रही है, जिसमें हर जिले के एक विशेष उत्पाद को पहचानकर उसका प्रचार किया जाता है। अब तक देश के 775 जिलों से 1,240 से अधिक उत्पाद चुने जा चुके हैं। इसके साथ ही, सरकार द्वारा निर्मित पीएम एकता मॉल्स इन उत्पादों को पूरे देश में लोकप्रिय बनाने में मदद कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, व्यापार को सुगम बनाने के लिए सरकार ने 47,000 से अधिक बेकार नियमों को समाप्त कर दिया है और 4,458 नियमों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। कई प्रक्रियाओं की मंजूरी देने वाला नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम भी काफी सफल रहा है, जहां अब तक 8.29 लाख से अधिक स्वीकृतियाँ दी जा चुकी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने 14 प्रमुख क्षेत्रों में पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना शुरू की है। इसके तहत अब तक 1.88 लाख करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है, जिससे 17 लाख करोड़ रुपए से अधिक का उत्पादन हुआ है और 12.3 लाख लोगों को रोजगार मिला है। इन योजनाओं की मदद से भारत से 7.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का सामान विदेशों में निर्यात भी हुआ है।
रिपोर्ट में अक्टूबर 2021 में शुरू की गई पीएम गतिशक्ति योजना (पीएमजीएस) का भी उल्लेख किया गया है, जो एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है, जो देश में सड़क, रेल, एयरपोर्ट, पोर्ट और अन्य परियोजनाओं को एक साथ जोड़कर बेहतर योजना बनाने में मदद करती है। इस योजना से अब तक 57 मंत्रालय और विभाग जुड़े हैं।
इसी तरह यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी), जो राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत बनाया गया एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, अब 11 मंत्रालयों की 44 सिस्टमों से जुड़ चुका है। यह विभिन्न मंत्रालयों में बंटे हुए डेटा को जोड़कर लॉजिस्टिक्स सिस्टम में काम करने वाले सभी लोगों को आसानी से जानकारी साझा करने में मदद करता है।